नई दिल्ली: आने वाले 25 सालों में ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं. कोयला और गैस की जगह ऊर्जा निर्माण के लिए सौर और पवन ऊर्जा उनका स्थान ले सकता है. ब्लूमबर्ग में सामने आई एक नई रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में कई खरब डॉलर निवेश किए जाने की संभावना है.
खरब डॉलर के निवेश आने की संभावना
एक अनुमान के मुताबिक 2040 तक वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में कई खरब डॉलर के निवेश आने की संभावना है. वैश्विक स्तर पर आए इस निवेश से भारत और चीन को अत्यधिक फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. बिजली उत्पादन में बड़े बदलाव के लिए मुख्य कारण भव्य जलवायु समझौते, राष्ट्रीय नीतियों और कार्बन मूल्य निर्धारण योजना को माना जा रहा है.
निवेश में हो रही लगातार वृद्धि
2004 के बाद से, अक्षय ऊर्जा निवेश में 43 अरब डॉलर से 270 अरब सालाना की वृद्धि हो रही है. 2014 में चीन में ये निवेश चीन में सबसे अधिक था, जिसे 2040 तक ये निवेश चाइना के पास जारी रहने की उम्मीद जताई गई है. दुनिया संयुक्त रूप से अगले 25 वर्षों में बिजली पैदा करने की नई क्षमता पर 12.2 खरब खर्च करेगा. ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों में वायु से प्राप्त होने वाली ऊर्जा सबसे सस्ती है, लेकिन आने वाले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर यह ऊर्जा सबसे सस्ती ऊर्जा दरों पर मिलने लगेगी.
भारत को मिलेगा फायदा
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन और भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को बिजली उत्पादन के लिए निवेश मिल सकता है. जिसमें चीन को अकेले 3.4 ट्रिलियन निवेश मिलने की उम्मीद है. बता दें कि सौर ऊर्जा परियोजना की लागत में 2009 के बाद से लगातार गिरावट दर्ज की गई है. वर्ष 2040 तक वैश्विक स्तर पर ऊर्जा एकत्र करने की क्षमता दोगुनी हो जाएगी. अगर कदम सही दिशा में बढ़े तो 2026 तक ऊर्जा के लिए आम लोगों को ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे.