देशभक्ति का एकाधिकार किसी एक व्यक्ति या संगठन के पास नहीं: शिवसेना

दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज की घटना के बाद एक बार फिर देशभक्ति का मुद्दा गरमा गया है. यह मुद्दा दिल्ली यूनिवर्सिटी की गलियों के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में भी तेजी से फैल रहा है. अब इस मामले में शिवसेना भी कूद पड़ी है.

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देशभक्ति का एकाधिकार किसी एक व्यक्ति या संगठन के पास नहीं: शिवसेना

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  • March 2, 2017 4:30 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुंबई : दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज की घटना के बाद एक बार फिर देशभक्ति का मुद्दा गरमा गया है. यह मुद्दा दिल्ली यूनिवर्सिटी की गलियों के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में भी तेजी से फैल रहा है. अब इस मामले में शिवसेना भी कूद पड़ी है.
 
 
शिवसेना का कहना है कि देशभक्ति का एकाधिकार किसी एक व्यक्ति के पास नहीं है. पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में शिवसेना ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोला है.
 
 
संपादकीय में कहा गया है, ‘लोकतंत्र को लेकर आज भी हमारे देश में हंगामेदार वातावरण ही है. उसी तरह ‘देशभक्ति’ का मतलब निश्चित तौर पर क्या है, इसकी भी व्याख्या हमारे यहां तय नहीं है. ‘हाथी और सात अंधे’ इस कहानी के अनुसार ‘देशभक्ति’ की धारणा हर कोई अपने आधार पर बनाता हुआ दिख रहा है. देशभक्ति का एकाधिकार किसी एक व्यक्ति या संगठन के पास नहीं हो सकता.’
 
 
सामना में लिखा है, ‘भारतीय जनता पार्टी की नजर में जेएनयू का नेता कन्हैया पक्का देशद्रोही है, पर महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक प्रशांत जी परिचारक साहब बिल्कुल देशद्रोही नहीं है. परिचारक साहब ने सार्वजनिक भाषण में यह कहा था कि सैनिक वहां दूर वर्ष भर सीमा पर होते हैं, लेकिन यहां गांव में उनकी पत्नियां बाल-बच्चेदार हो जाती हैं, यह क्या मामला है?.’
 
 
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में मचा घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. रामजस कॉलेज की लिटरेरी सोसाइटी ने इस सेमिनार का आयोजन किया था, जिसमें जेएनयू के उमर खालिद और शेहला राशिद को निमंत्रण दिया गया था, जिसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कड़ा विरोध किया था, जिसके बाद कार्यक्रम तो रद्द कर दिया गया, लेकिन एबीवीपी और आईसा के छात्रों के बीच घमासान पैदा हो गया.
 
 

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