नई दिल्ली: टेस्ट में भले ही टीम इंडिया नंबर वन है लेकिन डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS) के इस्तेमाल में टीम फिसड्डी साबित हो रही है. फील्ड अंपायर के गलत फैसले से बचने के लिए DRS का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन भारतीय टीम को अभी इसका सही इस्तेमाल करना नहीं आया है.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए पुणे टेस्ट में टीम इंडिया ने फील्डिंग करते हुए 4 बार रिव्यू लिया लेकिन एक बार भी टीम को इसका फायदा नहीं मिला. दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ एक बार रिव्यू लिया और वो भी सटीक लिया. ऑस्ट्रेलिया उस एक रिव्यू में भी सफल रही.
रिव्यू खत्म
वहीं बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 6 बार रिव्यू लिए जिसमें दो बार वो सफल रहे, जबकि भारतीय बल्लेबाज 3 में से केवल 1 बार ही सफल रहे. यहां तक कि भारत की दूसरी पारी में सलामी बल्लेबाज मुरली विजय और केएल राहुल ने छठे ओवर तक भारत के दोनों रिव्यू खत्म कर दिए.
सोच समझकर फैसला
दूसरे टेस्ट के लिए बेंगलुरु पहुंचने के बाद जब DRS को लेकर टीम इंडिया के ओपनर मुरली विजय से सवाल किया गया तो उन्होंने ने भी माना की पुणे टेस्ट में DRS लेने में उनकी टीम ने थोड़ी जल्दबाजी दिखाई. मुरली ने कहा कि सीरीज के बाकी बचे टेस्ट में हम इसका ख्याल रखेंगे और DRS पर सोच समझकर फैसला लेंगे.
DRS का पेंच
हर मैच में पहले 80 ओवर तक प्रत्येक टीम को 2 डीआरएस मिलते हैं. वहीं DRS के इस्तेमाल पर टीम इंडिया की अनुभवहीनता ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे टेस्ट में खुलकर सामने आई है. इससे पहले खेले गए इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी टीम इंडिया DRS के पेंच में फंसती दिखी थी.
DRS अपनाने के बाद भारत ने अब तक सात टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें बल्लेबाजी करते हुए कुल 13 बार मैदानी अंपायर के फैसले को चुनौती दी, लेकिन इनमें से टीम सिर्फ 4 बार ही सफल रही. वहीं फील्डिंग करते समय भारतीय टीम ने कुल 42 बार DRS का सहारा लिया, लेकिन 10 बार ही टीम को सफलता मिली.