मुंबई: बीएमसी चुनाव में किसी को भी बहुमत न मिलने के बाद मेयर पद को लेकर एक नया फॉर्मूला सामने आया है. आरएसएस के विचारक एमजी वैद्य के इस फॉर्मूले पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बीएमसी में मेयर किसका होगा इसे लेकर शिवसेना के अपने दावे हैं तो बीजेपी की अपनी शर्तें. लेकिन इस बीच संघ के विचारक एमजी वैद्य ने एक फॉर्मूला सुझाते हुए कहा है.
एमजी वैद्य ने कहा कि दोनों पार्टियां ढाई-ढाई साल के लिए मेयर पद अपने पास रख सकती हैं और पहला मौका शिवसेना को मिलना चाहिए, क्योंकि शिवसेना के पास बीजेपी से 2 पार्षद ज्यादा हैं. हालांकि मेयर के लिए किसी भी फॉर्मूले को लेकर बीजेपी चाहती है कि पहल शिवसेना की तरफ से हो.
इधर बीएमसी चुनाव के बाद भी बीजेपी को लेकर शिवसेना के रुख में नरमी नहीं आई है. पार्टी के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे ने लिखा है कि सीएम ने मेयर के लिए कांग्रेस के साथ न जाने का ऐलान किया है. बीजेपी को वैसे इसकी ज़रूरत भी क्यों होगी? कांग्रेस-एनसीपी के लोगों को अपनी पार्टी में भर कर सीएम ने बीजेपी को ही कांग्रेस बना दिया है.
बीएमसी में खंडित नतीजे आने के बाद अटकलें ये लगाई जा रही थी कि शिवसेना कांग्रेस का समर्थन ले सकती है. लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वो शिवसेना का समर्थन नहीं करेगी. कांग्रेस के इस फैसले के बाद अब मेयर के लिए शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन का ही एकमात्र विकल्प बच गया है.
227 सीटों वाली बीएमसी में शिवसेना को 84, बीजेपी को 82, कांग्रेस 31, एनसीपी को 7 और एमएनएस को 7 सीटें मिली हैं. बहुमत का आंकड़ा 114 है. ऐसे में बिना शिवसेना और बीजेपी के साथ आए बीएमसी की सत्ता हासिल नहीं की जा सकती. दोनों को मिलाकर 166 का आंकड़ा बनता है.
अंदर की बात ये है कि शिवसेना के पास फिलहाल बीजेपी के साथ जाने के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं है. इसलिए बीएमसी चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही ये खबरें आने लगी थीं कि मेयर पद पर ढाई-ढाई साल का समझौता बीजेपी और शिवसेना में हो सकता है. एमजी वैद्य वही फॉर्मूला बता रहे हैं. दिक्कत सिर्फ इतनी है कि समझौते की पेशकश पहले कौन करेगा ? शिवसेना को लगता है कि उसके पास सीटें ज्यादा हैं, इसलिए बीएमसी में उसे बड़ा मानने के लिए बीजेपी को ही आगे आना चाहिए.