Ayodhya Ram Temple Issue in Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में सोमवार से नियमित सुनवाई होगी. इस मामले में क्या होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. हम 10 पॉइंट में आपको बता रहे हैं.
नई दिल्लीः Ayodhya Ram Temple Issue in Supreme Court: राम मंदिर एक ऐसा विषय जिसके बारे में पूरे देश में चर्चा हो सकती है और हो ही रही है. संत समाज लगातार नाराजगी जाहिर कर रहा है. वह पिछले कई माह में लगातार योगी सरकार से मुलाकात कर चुका है. दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (एएचपी) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं. राम मंदिर को लेकर अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सोमवार को सुनवाई में क्या होगा जानें इन 10 पॉइंट्स में.
1. अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में सोमवार को क्या होगा ? क्या सोमवार को मामले की अंतिम सुनवाई की रूपरेखा तय हो सकती है?
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2. क्या ये प्रचलित परंपरा है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में संबंधित धर्म से संबंध रखने वाले जज भी बेंच का हिस्सा होते है? जैसे लखनऊ बेंच में?
3. क्या नई बेंच इस मामले को फिर से पुराने बेंच के सामने भेज सकती है? पुरानी बेंच से केवल जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर्ड हुए है जबकि दो जस्टिस अभी भी कार्यरत है ? मामले को फिर से जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर के पास भेजा जाए और एक नए जज को इस बेंच में इसमें शामिल किया जाए जैसे CJI खुद?
4. नई बेंच बनने से क्या इस भूमि विवाद में सुनवाई के नए एंगल भी तय किए जा सकते हैं? जैसे इस मामले को संविधान पीठ में सुनवाई के लिए भेजे जाने पर विचार किया जा सकता है?
5. अगर यही बेंच मामले की सुनवाई करेगी तो फैसला नवंबर 2019 से पहले आ जाएगा क्योंकि CJI जस्टिस रंजन गोगोई नवंबर 2019 में रिटायर्ड होंगे?
6. इस मामले का असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा तो क्या माना जाए कि कोर्ट से इस बाबत गुहार लगाई जा सकती है कि मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद करें?
7. क्या मुस्लिम पक्ष की तरफ से मामले को संविधान पीठ में भेजे जाने की फिर से मांग की जाएगी?
8. अगर फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले नहीं आता तो क्या सरकार अध्यादेश ला सकती है?
9. लखनऊ हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई में 90 दिनों का वक्त लगा था, अगर इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट रोजाना करता है तो कितना समय लगेगा?
10. अगर पुरानी बेंच के सामने ये मामला फिर जाता है तो क्या ये हितों का टकराव जैसा नही हो जाएगा जैसे जस्टिस अब्दुल नजीर ने कहा था कि इस्माल फारुखी के फैसले को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ में भेज जाना चाहिए?