मुंबई: बीएमसी और महाराष्ट्र निकाय चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. निगम की आठ सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. यही नहीं बीजेपी 10 जिला परिषद में आगे रही. इससे पहले यहां कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता था. थोड़ा पीछे जाएं तो साल 2014 में बीजेपी को मिली बंपर जीत को मोदी का जादू कहा गया लेकिन निकाय चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि बीजेपी धरातल पर भी उतनी ही मजबूत है.
फडणवीस की दमदार वापसी
निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कद भी और ऊंचा कर दिया है. निकाय चुनाव में देवेंद्र फडणवीस ही पार्टी का चेहरा थे और शायद उन्हीं की वजह से बीएमसी में भाजपा का वोट शेयर ढाई गुना तक बढ़ गया.
चुनाव के दौरान पीएम मोदी नहीं बल्कि पार्टी की तरफ से सीएम ही बीजेपी का चेहरा थे. पीएम की ही तरफ सीएम फडणवीस ने एक दिन में पांच-पांच जनसभाओं को संबोधित किया और प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी.
शिवसेना को गढ़ में मिली चुनौती
मराठी वोटों पर शिवसेना का शुरू से ही कब्जा रहा है, दिवंगत बाला साहेब ठाकरे के समय से ही मराठी शिवसेना का वोटबैंक माने जाते हैं. यही कारण है कि शिवसेना की महाराष्ट्र में अलग जगह रही है. बावजूद इसके इस बार शिवसेना अपना जादू कायम रख पाने में नाकाम रही. हालांकि बीएमसी चुनाव में शिवसेना ने जरूर बढ़त हासिल की लेकिन बीजेपी ने उसे कड़ी टक्कर दी.
निकाय चुनाव का राज्य की राजनीति पर असर
बीएमसी चुनाव का परिणाम ऐसा आया है कि बीजेपी और शिवसेना को गठबंधन करना ही पड़ेगा. दोनों ही पार्टियां मेयर अपनी पार्टी का बनाना चाहती हैं. दोनों पार्टियों के बीच सिर्फ तीन सीट का अंतर है ऐसे में दोनों ही पार्टियों के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष देखने को मिल सकता है.
कांग्रेस को लगा करारा झटका
महाराष्ट्र निकाय चुनावों में कांग्रेस पार्टी की हालत खराब रही. जिला परिषद चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन खराब ही रहा. शिवसेना और बीजेपी के सामने कांग्रेस अपना जनाधार खोती हुई नजर आई.
शरद पवार को झटका
शरद पवार की पार्टी एनसीपी को भी निकाय चुनाव में झटका लगा है. एनसीपी अपने गढ़ पुणे में भी हार गई और बाकी जिलों में भी उसकी स्थिति कमोबेश एक जैसी ही रही. चुनाव परिणाम को देखकर कहा जा सकता है कि एनसीपी को फिर एक बार अपनी राजनीतिक जमीन तलाशनी होगी
शिवसेना और बीजेपी के बीच खत्म होगा विवाद?
बीजेपी और शिवसेना के बीच पिछले दो सालों में जिस तरह का तनाव चल रहा है उसे देखते हुए बीजेपी खुद को पक्ष और शिवसेना को विपक्ष के रूप में देख रही है. यही वजह है कि दोनों के बीच बातचीत का खुला स्पेस कम होता जा रहा है. हो सकता है बीजेपी और शिवसेना की हालत को देखते हुए कांग्रेस और एनसीपी भी चुनाव में अकेले जाने के फैसले की समीक्षा करे
एमएनएस को लगा करारा झटका
एमएसएस ने जिस तरह पिछले पांच सालों में महाराष्ट्र के पिछड़े इलाकों में अपनी पैठ बनाई थी उसे देखते हुए निकाय चुनाव के परिणाम चौकाने वाले हैं. एमएनएस के हाथ नासिक की सिर्फ तीन सीट लगीं. निकाय चुनाव के परिणाम के बाद राज ठाकरे को फिर से रणनीति बनाने की जरूरत पड़ेगी
नोटबंदी का बीजेपी पर नहीं पड़ा असर
नोटबंदी के मुद्दे को भी चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने जमकर उछाला. संभावना थी कि नोटबंदी की वजह से बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है, इसके उलट लोगों ने नोटबंदी के फैसले का जमकर समर्थन किया और बीजेपी को बंपर वोट दिए
निकाय चुनाव का राष्ट्रीय राजनीति पर असर
महाराष्ट्र के निकाय चुनावों को करीब दो करोड़ लोगों का फैसला माना जाए तो ये फैसला बीजेपी के हक में है. जाहिर है इस फैसले से बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ेगा. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए निकाय चुनाव का परिणाम फिर एक बार दर्शाता है कि जिस तरह की मेहनत पार्टी को करनी चाहिए शायद उस स्तर पर कोशिशें शुरू नहीं हो पाई है.