Supreme Court MeToo PIL: सुप्रीम कोर्ट ने मीटू अभियान के तहत लग रहे आरोपों के जल्दी निपटान के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने, राष्ट्रीय महिला आयोग को स्वत: संज्ञान लेकर पीड़िताओं की मदद करने आदि मांग वाली याचिका पर तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया है.
नई दिल्ली. #metoo कैंपेन के तहत सामने आए यौन उत्पीड़न के मामलों में एफआईआर दर्ज कराने को लेकर एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका पर तुरंत सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तुरंत सुनवाई से इंकार करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि यह बहुत जरूरी मामला नहीं है इसलिए तुरंत सुनवाई नहीं की जा सकती. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर कोई मुकदमा आता है तो इस पर विचार किया जाएगा.
एडवोकेट एम एल शर्मा ने याचिका में कहा था कि #metoo के जितने भी मामले आए हैं उनमें CRPC की धारा 154 के तहत संज्ञान लेकर FIR दर्ज की जाए और मामले की जांच की जांच कर दोषी को सजा दी जाए. ऐसे मामलों में रेप या छेडछाड़ जैसी धाराएं लगाई जाएं. एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में मांग की है कि केंद्र सरकार को यौन उत्पीडन के मामलों के ट्रायल के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का निर्देश दिया जाए. एम एल शर्मा ने याचिका में मांग की थी कि मीटू के तहत आए मामलों पर राष्ट्रीय महिला अधिकार आयोग (NCW) को निर्देश दिया जाए कि वह स्वत: संज्ञान लेकर मीटू की पीड़िताओं की मदद करे. महिला आयोग ऐसी पीड़िताओं को वित्तीय, कानूनी सहायता और सुरक्षा के साथ-साथ उनकी पहचान को छिपाने के लिए कदम उठाए.
बता दें कि बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर पर आरोप लगाए जाने के बाद सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाने वालों की बाढ़ सी आ गई है. बॉलीवुड के दर्जनभर से ज्यादा लोगों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लग चुके हैं. इनमें फिल्ममेकर से लेकर डायरेक्टर, प्रोड्यूसर आदि शामिल हैं. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर को मीटू के तहत लगे आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा था.
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