नई दिल्ली : यूपी में चुनाव होने वाले हैं और सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दांव लगा दिए हैं. चुनावों में कई दल अपनी-अपनी किस्मत आजमाने उतर रहे हैं और जमकर ताल ठोक रहे हैं.
राज्य के हर हिस्से का अपना समीकरण है. कहीं कोई पार्टी हावी है, तो कहीं किसी का वर्चस्व है. ऐसी ही स्थिति है पश्चिमी यूपी की. पश्चिमी यूपी के आठ जिलों में 11 फरवरी को मतदान होने जा रहा है. ये जिले मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, गाजियाबाद, शामली और मुजफ्फरनगर हैं.
मेरठ-सहारनपुर मंडल के इन जिलों की आबादी के हिसाब से देखा जाए तो यहां तीन जातियों का वर्चस्व है. यहां सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है. इसके बाद दलित और जाटों की संख्या है. जातीगत समीकरण, वोटबैंक और राजनीतिक रसूख के हिसाब से पश्चिमी यूपी में पांच नेताओं के आसपास ही राजनीति घूमती है और इनका प्रभाव सबसे ज्यादा है:
अजित सिंह
सबसे पहला नाम है राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजित सिंह का. इस क्षेत्र की जाट बहुल सीटों पर इनका खासा प्रभाव है. पिछली बार पार्टी ने यहां 46 उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें से नौ सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन, साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पार्टी का परंपरागत जाट-मुस्लिम वोट बैंक खिसक गया जिसके चलते 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली. इस बार अपनी खोई जगह वापस पाना पार्टी के लिए बहुत अहम है.
हुकुम सिंह
इनका गुर्जरों में खासा प्रभाव है. वह कैराना से भाजपा सांसद हैं. उन्होंने ही पिछले साल कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था. इस बार उनकी बेटी मृगांका सिंह भी चुनावी मैदान में हैं. वहीं, हुकुम सिंह का भतीजा रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है.
संगीत सोम
संगीत सोम का नाम मुजफ्फरनगर दंगों में सामने आया था. उन्हें इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था. वह मेरठ की सरधना सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. वह पिछली बार इस सीट से चुनाव जीते थे.
डॉ. संजीव बालियान
संजीव बालियान मुजफ्फरनगर सीट से बीजेपी के लोकसभा सदस्य हैं और केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री हैं. उन पर भी मुजफ्फरनगर दंगे भड़काने का आरोप लगा था.
नरेश टिकैत
नरेश भारतीय किसान यूनियन के दिवंगत नेता महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र हैं. इनका किसानों पर जबरदस्त प्रभाव है. इनका अपना वोट बैंक है इसलिए पश्चिमी यूपी की राजनीति में खास पहचान रखते हैं.