इन नेताओं के रिकॉर्ड तोड़ना है मुश्किल, कई इस बार डबल ‘हैट्रिक’ की कोशिश में

लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ प्रत्याशी हैं जो अब तक अपनी सीट पर अजेय साबित हुए हैं. सरकार किसी किसी की भी बनी हो लेकिन इन नेताओं की सीट हमेशा पक्की रही है. इस बार इन नेताओं पर सबकी नजरें हैं. कुछ ऐसे हैं जो इस बार जीते तो उनकी डबल हैट्रिक होगी.

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इन नेताओं के रिकॉर्ड तोड़ना है मुश्किल, कई इस बार डबल ‘हैट्रिक’ की कोशिश में

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  • February 5, 2017 8:04 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ.  यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ प्रत्याशी हैं जो अब तक अपनी सीट पर अजेय साबित हुए हैं. सरकार किसी किसी की भी बनी हो लेकिन इन नेताओं की सीट हमेशा पक्की रही है. इस बार इन नेताओं पर सबकी नजरें हैं. कुछ ऐसे हैं जो इस बार जीते तो उनकी डबल हैट्रिक होगी.
 
1- सबसे पहले नाम आता है प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया. कुंडा राजा भैया का गढ़ है. वह यहां से 1993 में निर्दलीय जीते थे. इस बार भी वह लगातार छठवीं जीत के लिए मैदान में हैं. राजा भैया पर सत्ता विरोधी लहर का कभी असर नहीं पड़ा है. वह बीजेपी और सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. यहां तक कि कभी कुंडा को गुंडा मुक्त करने की कसम खाने वाले कल्याण सिंह ने भी उनको अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया था.
2- बरेली कैंट से बीजेपी के उम्मीदवार राजेश अग्रवाल भी इस बार डबल हैट्रिक मारने के लिए चुनावी मैदान में हैं. हालांकि राजेश अग्रवाल अपने शुरू के चार चुनाव बरेली सिटी से जीते हैं. इसके बाद वह बरेली कैंट से भी चुनाव जीते.
3- बस्ती की कप्तानगंज सीट से राम प्रसाद चौधरी पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. इस बार जीते तो वह लगातार छठी बार विधायक होंगे. 1993 में राम प्रसाद चौधरी पहली बार यहां से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था. इसके बाद वह बसपा और बीजेपी में शामिल हुए लेकिन कप्तानगंज की जनता ने उन पर हमेशा भरोसा दिखाया. इस बार वह बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान मे हैं.
4- रामपुर की सीट पर आजम खान का हमेशा राज रहा है. आजम खान यहां से 9 में से 8 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खान ने उनको हरा दिया था.
5- रामपुर के नवाब काजिम अली खान का भी यहां पर जलवा कायम है.
1996 में बिलासपुर और 2002 में स्वार सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. 2007 में सपा के टिकट से विधायक चुने गए लेकिन राज्य में मायावती की सरकार बनी तो उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया और बसपा में शामिल हो गए. इसके बाद जब उपचुनाव हुआ तो फिर से विधायक चुन लिए गए. 2012 में कांग्रेस में फिर से कांग्रेस में आ गए और स्वार सीट से चुनाव जीत गए. इस बार वह स्वार सीट से फिर से मैदान में हैं वह भी बसपा के टिकट से.
6- कानपुर की कैंट या महाराजपुर सीट से बीजेपी के टिकट से सतीश महाना सात बार विधायक चुने जा चुके जा चुके हैं. इस बार वह महाराजपुर सीट से मैदान में हैं.
7- वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कांग्रेस के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले अजय राय को यहां की पिंडारा विधानसभा से अजेय माना जाता है. अजय राय ने 1996 में कोलसला सीट पर भाजपा के टिकट से भी चुनाव जीत चुके हैं. इस बार पिंडारा सीट से वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अजय राय पिंडारा सीट से चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. पांचवी बार वह उपचुनाव जीते थे.
8- फैजाबाद की सोहावल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अवधेश प्रसाद आठ बार विधायक चुने जा चुके हैं. हालांकि बीच में वह हारे भी हैं. इस बार वह 9 वीं बार विधानसभा पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी के कद्दावर और विधानमंडल दल के नेता सुरेश खन्ना शाहजहांपुर से 8 वीं बार जीत की कोशिश कर रहे हैं. सिद्धार्थनगर की बांसी सीट पर बीजेपी विधायक जय प्रताप सिंह भी 8 वीं बार चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं.
 
 
 
 

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