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दिल्ली नगर निगम के स्कूल ने धर्म के अनुसार बांटी बच्चों की क्लास, हिंदू-मुसलमान अलग-अलग

एकता का पाठ पढ़ाने वाले स्कूल में ही अगर धर्मवाद फैलने लगे तो आप वहां पढ़ रहे बच्चों के भविष्य की कैसी कल्पना कर सकते हैं. दरअसल दिल्ली के सरकारी स्कूल में छात्रों को उनके धर्म के अनुसार कक्षाओं के सेक्शन में डाला गया है. यानी एक कक्षा के पहले सेक्शन में पढ़ने वाले सभी बच्चे हिंदू हैं तो दूसरे सेक्शन में मुस्लिम. स्कूल के प्रिंसिपल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बच्चे आपस में झगड़ते थे जिस वजह से कुछ फेर बदल की गई है.

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Jai Hind in Gujarat
  • October 10, 2018 5:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. माता पिता के बाद अगर बच्चे को कहीं से ज्ञान मिलता है तो वह जगह स्कूल होती है. शुरूआत से ही स्कूल में बच्चों को एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी जाती है. उन्हें एकता का पाठ पढ़ाकर सिखाया जाता है कि सभी धर्म एक होते हैं. हालांकि दिल्ली के वजीराबाद इलाके में चल रहे एक स्कूल में एकता की परीभाषा को ही बदल दिया गया. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में कार्यरत कुछ शिक्षकों का आरोप है कि इस स्कूल में बच्चों की कक्षा के सेक्शन धर्म अनुसार बांटे गए हैं.

आइए आपको समझाते हैं, स्कूल की पहली कक्षा में A और B दो सेक्शन हैं. ऐसे में सेक्शन ए में 26 की संख्या में सिर्फ हिंदु छात्र हैं जबकि बी सेक्शन में सिर्फ 36 मुस्लिम छात्र हैं. शिक्षकों ने इस मामले में कहा है कि पहले ऐसा नहीं था लेकिन बीते दिनों स्कूल के पुराने प्रिंसिपल का ट्रांस्फर हो गया. जिसके बाद सीबी सिंह सहरावत ने स्कूल में बतौर प्रिंसिपल चार्ज संभाला. उसके बाद से ही बच्चों को कक्षाओं में धर्मनुसार बैठाने की यह व्यवस्था की गई है.

हालांकि जब एक अंग्रेजी अखबार ने सीबी सिंह सहरावत से इस मामले में पूछताछ की तो उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसी फेर बदल होना सामान्य प्रक्रिया है, जो की सभी स्कूलों में की जाती है. सीबी सिंह सहरावत ने आगे कहा कि बच्चे कभी कभी लड़ते थे, मैनेजमेंट ने यह फैसला स्कूल में शांति, अनुशासन और अच्छा सीखने के माहौल को बनाने के लिए किया है.

जब प्रिंसिपल से पूछा गया कि क्या बच्चे धर्मों को लेकर झगड़ते थे तो उन्होंने हामी भरते हुए कहा कि इस उम्र के बच्चे यह नहीं जाने की धर्म किया है लेकिन वे इसपर लड़ाई जरूर करते हैं. बता दें कि जब स्कूल में शिक्षकों ने इसका विरोध किया तो प्रिंसिपल ने उन्हें उनकी नौकरी करने की सलाह दी. वहीं ना जाने कैसे लेकिन छात्रों के परिजन इस मामले में अभी तक अंजान हैं. शिक्षा विभाग अधिकारियों का आश्वासन है कि अगर ये आरोप सच हैं तो इनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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