इंडिया न्यूज के पॉपुलर शो फैमिली गुरु में रत्न के बारे में बात गई है. जय मदान ने गुस्सा शांत करने उपाय के बारे में बताया है. गुस्सा शांत करने के लिए चांदी पहनने को कहा जाता है. शनि साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रकोप से बचने के लिए घोड़े की नाल या छल्ला पहनने की सलाह दी जाती है. यही कारण है कि रत्न को किसी विशेष मेटल से बनी अंगूठी में ही धारण करने की सलाह दी जाती है.
नई दिल्ली. इंडिया न्यूज के खास शो फैमिली गुरु में रत्न के बारे में बात की गई है. जय मदान ने गुस्सा शांत करने के लिए चांदी पहनने के बारे में बताया है. गुस्सा शांत करने के लिए चांदी पहनने को कहा जाता है. शनि साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रकोप से बचने के लिए घोड़े की नाल या लोहे का छल्ला पहनने की सलाह दी जाती है. मेटल किसी खास रत्न के साथ मिला दी जाए, तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है. यही कारण है कि रत्न को किसी विशेष मेटल से बनी अंगूठी में ही धारण करने की सलाह दी जाती है.
लेकिन किस रत्न के लिए कौन से मेटल का उपयोग करना चाहिए वो जानिए. ये नियम जानना बेहद जरूरी है. अमूमन हर रत्न किसी विशेष मेटल के लिए ही बना है. उसके अलावा उसे मेटल में नहीं बनवाना चाहिए. लेकिन अगर कोई बदलाव हो तो वो कुंडली के आधार पर ही किया जाता है. कुछ लोगों के लिए ‘चांदी मेटल’शुभ नहीं होती. इसलिए उन्हें यह धारण नहीं करनी चाहिए.
ऐसे में यदि उन्हें इसी मेटल में पहना गया रत्न धारण करना पड़े, तो उन्हें कोई दूसरा अलटेरनेट भी देखना चाहिए. अगर कोई ‘रूबी’ रत्न धारण करने जा रहा है, तो इसे तांबा या सोना, इन मेटल के प्रयोग से ही बनवाएं और धारण करें। पन्ना रत्न के लिए सोना बिलकुल ठीक मेटल है. इसके बाद मोती धारण कर रहे हैं तो इसे हमेशा चांदी में ही पहनें, मोती को कभी सोने में नहीं पहनना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति नीलम धारण कर रहा है तो उसे सोने या प्लैटिनम में बनवाएं. पुखराज और मूंगा रत्न भी सोने में ही बनवाकर धारण किया जाता है. मूंगा रत्न को यदि सोने में ना बनवा सके, तो उसे तांबे में भी बनवाकर पहन सकता है. ओपल रत्न को चांदी में पहना जाता है। गोमेद और लहसुनिया को अष्टधातु या त्रिलोह में बनवाकर पहनें.
फैमिली गुरु: काली मिर्च के ये पांच टोटके हर बुरी नजर बचाएंगे