नई दिल्ली: आजाद हिंदुस्तान में ऐसा पहली बार होगा, जब रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा. रेलवे की तस्वीर और उसका खाका आम बजट के साथ ही आपके सामने होगा. रेल के लिए पेश होने वाले इस बजट से ठीक पहले इंडिया न्यूज़ और कोबरा पोस्ट एक बड़ा खुलासा किया. ये खुलासा करोड़ों रेल यात्रियों की सेहत से जुड़ा है. उनके साथ रोजाना होने वाले खिलवाड़ से जुड़ा है.
जिस रेल में आप सफर करते हैं, कैसे वहां कदम-कदम पर मौत बांटी जा रही है. आप उस मौत को अपने ही पैसों से खरीद भी रहे हैं. कहीं 20 रुपए देकर, कहीं 10 रुपये देकर. हम आपको बताने वाले हैं कि कैसे स्टेशन के प्लेटफॉर्म तक वेंडर माफिया आपस में बेच लेते हैं.
नंबर एक नियम-कानून ताक पर रखकर रेलवे और रेलवे प्लेटफॉर्म पर कहीं का खाना. कहीं का पानी. नंबर दो, अधिकारियों की साठ-गांठ से स्टेशन तथाकथित रुप से बिक जाते हैं. नंबर तीन, जहां कानूनन रेल नीर बिकना चाहिए वहां किसी भी ब्रांड का पानी बेचा जाता है और नंबर चार रेल यात्रियों की सेहत से बड़ा खिलवाड़ हो रहा है.
इंडिया न्यूज़ और कोबरा पोस्ट की टीम की तहकीकात में सूत्रों ने हमें बताया कि स्टेशन बिके हुए हैं. बाद में इसकी तरफ रेलवे के पुराने अधिकारियों ने भी इशारा किया. जिन्होंने ईमानदारी से अपनी पूरी जिंदगी रेलवे के लिए खपाई है. वो इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि ये मिलीभगत से होता है. लेकिन साथ में वो रेलवे में स्टॉफ की कमी का रोना भी रोते हैं.
हमें सच की तलाश थी लिहाजा हमारे अंडर कवर रिपोर्टर स्टेशन-स्टेशन घूम रहे थे. इसी दौरान गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर हमारे अंडर कवर रिपोर्टर की मुलाकात अरशद से हुई. ये भी रहन-सहन में साधारण आदमी दिखता है, लेकिन दिमाग से शातिरना. अरशद अपने बॉस शानू के नीचे काम करता है जिसने हमें दो टूक कह दिया. न पुलिस की चिंता करो, न रेलवे प्रशासन की. सबका ठेका हमारे पास है.
रिपोर्टर का साथी – कोई पकड़ा-धकड़ी तो नहीं होगी ?
अरशद – वो ज़िम्मेदारी सब हमारी है
रिपोर्टर – डेली का क्या हिसाब है ?
अरशद – 150/- रुपये दिहाड़ी
रिपोर्टर – स्टेशन पर खड़ी गाड़ी मे चढ़ सकते हैं या आगे भी कहीं जा सकते हैं ?
अरशद – जा सकते हो आप
रिपोर्टर – कहां तक ?
अरशद – जहां तक तुम्हारा मन करे, दिल्ली तक जाओ…साहिबाबाद जाओ, आनंद विहार जाओ
रिपोर्टर – रास्ते मे कोई दिक्कत नहीं है
अरशद – दिक्कत ये है साहिबाबाद जाओ, वहां एंट्री देनी पड़ेगी तुम्हें अपनी जेब से हमारा कोई मैटर नहीं होगा, हमारा यहां का मैटर है, दिल्ली जाओगे वहां तुम्हें मंथली देनी पड़ेगी
रिपोर्टर का साथी – यहां तो नहीं रोकेंगे पुलिसवाले
अरशद – यहां क्यों रोकेंगे? सारे काम है रिस्क तो हैं ही है, अब कोई चेकिंग पड़ रही है RPF वाले पकड़ भी सकते हैं, सारे काम कर सकते हैं लेकिन छुड़ाने की जिम्मेदारी तो हमारी है
रिपोर्टर – तो काम दिन में ही होगा या रात में होगा ?
अरशद – रात में दिन में…24 घंटे किसी भी टाइम करो
अरशद के मन में रेलवे पुलिस और आरपीएफ का कोई ख़ौफ नहीं और वो इसलिए नहीं है कि उसने थाने खरीद लिए हैं. उसने पोस्ट खरीद लिए हैं. वैसे अगर आपको रेलवे में कोई खान-पान की चीज बेचनी है तो इसके लिए नियम कड़े हैं. आपकी पूरी तहकीकात होगी. आपके खाने-पीने की जांच होगी. फिर रेलवे आपको एक बिल्ला देता है यानी बैज जिसे आपको अपने बांह में लगाना होगा. तब जाकर आप रेलवे में कुछ बेच सकते हैं.
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