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अब मोदी सरकार के हाथ में होगा IL&FS का कंट्रोल, उदय कोटक समेत 6 बोर्ड मेंबर बनाने को NCLT ने दी मंजूरी

नेशनल कंपनी लॉ बोर्ड (NCLT) ने इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज़ (IL&FS) का मैनेजमेंट केंद्र सरकार को सौंपने की मंजूरी दे दी है. सरकार ने उदय कोटक समेत 6 सदस्यों को बोर्ड में जगह देने की लिस्ट एनसीएलटी को सौंपी है. मामले की अगली सुनवाई अब 31 अक्टूबर को होगी.

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अब मोदी सरकार के हाथ में होगा IL&FS का कंट्रोल, उदय कोटक समेत 6 बोर्ड मेंबर बनाने को NCLT ने दी मंजूरी
  • October 1, 2018 7:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

मुंबईः नेशनल कंपनी लॉ बोर्ड (NCLT) ने केंद्र सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज़ (IL&FS) का मैनेजमेंट अपने हाथ में लेने की मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार ने 6 बोर्ड सदस्यों की एक लिस्ट भी एनसीएलटी को सौंपी है. बताया जा रहा है कि बोर्ड में कोटक महिंद्रा बैंक के चेयरमैन उदय कोटक, ICICI बैंक के पूर्व चेयरमैन जी.सी. चतुर्वेदी, पूर्व IAS ऑफिसर मालिनी शंकर, पूर्व IAS ऑफिसर विनीत नैय्यर, पूर्व सेबी प्रमुख जी.एन. वाजपेयी और नंदकिशोर शामिल होंगे. नए बोर्ड को 8 अक्टूबर से पहले मीटिंग करनी होगी. मामले की अगली सुनवाई अब 31 अक्टूबर को होगी.

कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने IL&FS के खिलाफ NCLT में अर्जी दी थी. इसी पर सुनवाई करते हुए NCLT ने केंद्र सरकार को IL&FS को टेकओवर करने की मंजूरी दी. मिली जानकारी के अनुसार, IL&FS के अंतर्गत आने वाली सभी कंपनियों पर करीब 91 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. सिर्फ IL&FS पर ही 16,500 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसके अंतर्गत आने वाली कंपनियों में बैंक और इंश्योरेंस सेक्टर का बड़ा हिस्सा है.

बता दें कि सोमवार को हुई सुनवाई के बाद सरकार ने एनसीएलटी से कहा था कि अगर IL&FS डूबती है तो कई म्युचुअल फंड्स भी डूब जाएंगे. नकदी संकट से जूझ रहे IL&FS से जुड़ी कंपनियों ने कई बार लोन पेमेंट में डिफॉल्ट किया है. साल 2009 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा कि केंद्र सरकार इस तरह किसी कंपनी को बचाने के लिए आगे आई हो. उस समय केंद्र की तत्कालीन UPA सरकार ने सत्यम में 7,800 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद सत्यम और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों का कंट्रोल अपने हाथ में लिया था.

क्या है IL&FS?
IL&FS एक पब्लिक सेक्टर कंपनी है. इसकी 40 सहायक कंपनियां हैं. यह एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी है. यह बैंकों से लोन लेती है. दूसरी कंपनियां इसमें निवेश करती हैं और जनता इसके शेयर खरीदती है. IL&FS को देश की कई जानी-मानी रेटिंग एजेंसियों ने अति सुरक्षित रैंक दी हुई थी. हाल ही में IL&FS ने 250 करोड़ रुपये के इंटरेस्ट पेमेंट का डिफॉल्ट किया था. मतलब कंपनी अपनी कर्ज की किश्त नहीं चुका पाई थी.

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