नई दिल्ली : आज भारत में परमाणु ऊर्जा की कल्पना करने वाले होमी जहाँगीर भाभा की पुण्यतिथि है. उनका जन्म 30 अक्तूबर 1909 को निधन 24 जनवरी 1966 को हुआ था. उनकी मौत देश-दुनिया के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी.
भाभा बचपन से ही मेधावी थे, उन्होंने 15 साल की मुम्बई के एक हाईस्कूल से सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय पढ़ने चले गए, जहां उनकी प्रतिभा का दुनिया ने लोहा माना.
19 45 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक अपने रिसर्च को पूरा करने में लग गए. उसी समय 1 जून को डॉ. भाभा द्वारा प्रस्तावित ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR)’ की एक छोटी-सी इकाई का श्रीगणेश हुआ, हालांकि यह स्थायी नहीं था.
इसके बाद भाभा ने TIFR की स्थायी इमारत की भी जिम्मेदारी ली. इसके लिए उन्होंने अमेरिका के जाने-माने वास्तुकार को इसकी योजना बनाने के लिये आमंत्रित किया और नई इमारत का निर्माण हुआ जिसका शिलान्यास 1954 में नेहरू जी ने किया और 1962 में उद्घाटन हुआ.
अकस्मात निधन से सदमे में देश-दुनिया
1966 में डॉ. भाभा के निधन से देश-दुनिया को गहरा धक्का लगा. एयर इंडिया का विमान स्विटजरलैंड की आलप्स पर्वतमाला में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु हो गई, जिसे लेकर आज भी सवाल खड़े होते हैं.
एक बार बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी लोकसभा में कहा था कि भाभा की मौत आज भी मेरे लिए रहस्य है क्योंकि पाकिस्तान के ताशकंद समझौते के बाद 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो गई और दो सप्ताह के भीतर भाभा विमान दुर्घटना में मारे गए.
कुत्ते ने दी जान
भाभा की मौत का सदमा उनका कुत्ता भी सहन नहीं कर सका. एक महीने तक कुछ नहीं खाने-पीने के बाद आखिरकार उसने प्राण त्याग दिया. हालांकि डॉक्टरों ने काफी मेहनत की लेकिन उसे नहीं बचा सके.
डेनियल रोच ने किया खुलासा
2009 में फ्रांसीसी पर्वतारोही डेनियल रोच ने खुलासा करते हुए कहा था जिस विमान हादसे में भाभा की मौत हुई थी वह किसी विमान की खराबी से नहीं बल्कि इटली के किसी एयरक्राफ्ट या मिसाइल की टक्कर से हुआ था.