तीन तलाक अध्यादेश का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. समस्त केरल जमियत उलेमा याचिका दाखिल कर ट्रिपल तलाक बिल को चुनौती दी है. उनका मानना है कि ये अध्यादेश मनमाना और इसे असंवैधानिक करार दिया जाना चाहिए.
नई दिल्लीः तीन तलाक अध्यादेश का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. समस्त केरल जमियत उलेमा ने याचिका दाखिल कर इसे असंवैधानिक करार देने की मांग की है. उलेमा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश मनमाना और भेदभावपूर्ण है. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद तीन तलाक गैरकानूनी हो गया है. तीन तलाक देने पर अब पति को तीन साल तक की सजा दी जा सकती है. केंद्र सरकार को अब इस बिल को 6 महीने में पास कराना होगा. कैबिनेट की बैठक में इस बिल को मंजूरी दी गई थी.
आपको बता दें कि लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था. कांग्रेस सांसद का कहना था कि इस बिल के कुछ प्रावधानों में बदलाव होना चाहिए. गौरतलब हो कि संविधान के आर्टिकल 123 के तहत जब संसद सत्र नहीं चल रहा हो तो राष्ट्रपति केंद्र के आग्रह पर कोई अध्यादेश ला सकता है. अध्यादेश सदन के अगले सत्र की समाप्ति के बाद छह हफ्तों तक जारी रह सकता है. बता दें जिस विधेयक पर अध्यादेश लाया जाता है, उसे संसद के अगले सत्र में पारित करवाना जरूरी होता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति इसे दोबारा भी जारी कर सकते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि तीन तलाक के मूल विधेयक को लोकसभा में पहले ही पारित किया जा चुका है. लेकिन राज्यसभा में यह अभी लंबित है. राज्यसभा में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के पास बहुमत नहीं है.
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