सीतापुर. प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी का 9 नवंबर की रात अचानक लिया गया नोटबंदी के फैसला से उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में रहने वाले राम प्रताप दीक्षित को 9 साल पहले गायब हुआ बेटा मिल गया है.
सीतापुर. प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 9 नवंबर की रात अचानक लिया गया नोटबंदी के फैसले से उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में रहने वाले राम प्रताप दीक्षित को 9 साल पहले गायब हुआ बेटा मिल गया है.
आपको पढ़कर थोड़ा हैरानी हुई होगी लेकिन यह सच्चाई है. राम प्रताप दीक्षित की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. 9 साल पहले उनका बेटा शंभू इसी तंगी से परेशान होकर अमृतसर आ गया और यहां पर पहले मजदूरी और फिर एक निजी अस्पताल में सफाई का काम करके उसने किसी तरह से 53 हजार रुपए इकट्ठा किए.
एक दिन वह घर से अस्पताल आ रहा था. नोटबंदी की वजह से उसके पास खुले पैसे नहीं थे. उसने ऑटो वाले को 500 रुपए का नोट दिया. लेकिन उसके पास भी छुट्टे पैसे नहीं थे.
थोड़ी देर में दोनों की कहासुनी हो गई और ऑटो वाले ने जबरस्ती उसको अपने साथ बैठा लिया और कई घंटों तक सवारी बुलाने का काम करता रहा.
इसके बाद शंभू किसी तरह अस्पताल पहुंचा. वहां पर इलाज के लिए भर्ती विनोद लूथरा नाम के शख्स से उसने आपबीती बताई. विनोद लूथरा ने शंभू की मदद का फैसला किया.
शंभू ने बताया कि वह इन 9 सालों में किसी तरह से 53 हजार रुपए इकट्ठा कर पाया है लेकिन मेहनत-ंमजदूरी और गरीबी के कारण वह इन सालों में कभी अपने मां-पिता से बात नहीं कर पाया है.
शंभू ने बताया कि वह सीतापुर जिले के कैमा गांव का रहने वाला है. उसके पिता का नाम राम प्रताप दीक्षित और मां का नाम कृष्णा देवी है.
वहीं पीड़ित शंभू ने बताया कि उसके पास जो रुपए हैं उसमेें सारे नोट 500-500 के नोट ही हैं. विनोद ने शंभू की सारी बात सुनकर मीडिया के माध्यम से सीतापुर में उसके मां-बाप का पता लगाया.
शंभू की मां और पिता को जब पता चला कि 9 साल पहले गायब हुए उनके बेटे के बारे में कोई उनसे संपर्क करना चाहता है तो वह फूट-फूट कर रोने लगे. उनका कहना था कि उन्हे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि शंभू जीवित है.
मंगलवार शंभू के छोटे भाई कैलाश और विजय उनसे मिलने अमृतसर मिलने पहुंचे. 42 साल के हो चुके शंभू ने भाइयों से गले मिलने के बाद कहा कि अगर नोटबंदी की वजह से ऑटो वाली घटना नहीं हुई होती तो शायद ही कभी अपने परिवार मिल से पाता.