नई दिल्ली: जैसे जेसे वक्त बदल रहा है वैसे-वैसे ही लोगों की
पसंद भी हर चीज में बदलती जा रही है. चाहे वो खाने-पीने की चीजें हों या फिर
सेक्स लाइफ की हो. बदलते वक्त के साथ लोग भी
मॉर्डन होते जा रहे हैं. अब लोग गर्भनिरोध के लिए भी कई अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल करने लगे हैं.
एक सालाना रिपोर्ट में पाया गया है कि 2011 के बाद से देश में गर्भनिरोधक दवाईयों के इस्तेमाल में लगातार कमी आई है. 2012-2013 में कुल 2,13,992 पिल्स का इस्तेमाल किया गया था. ये आंकड़ा 2014 दस हजार घटकर 2,07,872 हो गया है. वहीं 2015 में तो इनकी संख्या 1,96,354 हो गई. 2015-16 में इनकी संख्या घटकर 1,85,499 रह गई.
दूसरी तरफ अगर हम निरोध की बात करें तो 2013-14 में 5,373 निरोध बिके थे. 2015-16 में ये आकंड़ा बढ़कर 5,709 तक पहुंच गया. यही नहीं पुरुषों की नसबंदी के मामले में भी 2013 से 2016 तक में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई. 2013-14 नसबंदी के 1,401 मामले सामने आए. हालांकि 2015 में नसबंदी के मामले में थोड़ी कमी आई थी पर 2016 में ये बढ़कर 901 हो गया.
एक ओर प्रेग्नेंसी रोकने के लिए
महिलायों के बीच
कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के इस्तेमाल में कमी देखने को मिली तो वहीं पुरुषों ने सीध नसबंदी का ही रास्ता चुना है. माना जा रहा है कि पिल्स से होने वाले साइड इफेक्ट्स के कारण पिल्स के उपयोग में कमी आने का एक कारण हो सकता है.