SC/ST एक्ट के विरोध में हिन्दू महासभा ने राष्ट्रपति को भेजा खून से लिखा पत्र, मांगी इच्छा मृत्यु की इजाजत

अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एससी- एसटी अधिनियम में संशोधन के विरोध में राष्ट्रपति के पास खून से लिखा पत्र भेजा है. इसमें कहा गया है कि बीजेपी वोटबैंक की राजनीति कर सवर्णों के दमन का रास्ता साफ कर रही है. हिन्दू महासभा की मांग है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को यथावत करे या उन्हें इच्छामृत्यु की इजाजत दी जाए.

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SC/ST एक्ट के विरोध में हिन्दू महासभा ने राष्ट्रपति को भेजा खून से लिखा पत्र, मांगी इच्छा मृत्यु की इजाजत

Aanchal Pandey

  • September 15, 2018 8:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

अलीगढ़. अखिल भारत हिन्दू महासभा ने SC/ST अधिनियम में हाल में किए गए संशोधन के विरोध में राष्ट्रपति के नाम खून से पत्र लिखा है. हिंदू महासभा की अध्यक्ष पूजा शकुन पांडेय का कहना है कि बीजेपी वोटबैंक की राजनीति कर रही है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि या तो सरकार एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को यथावत रखे नहीं तो उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे.

पूजा शकुन पांडेय हाल ही में सरिया अदालत की तर्ज पर हिन्दू अदालत (हिन्दू कोर्ट ऑफ जस्टिस) का गठन कर चर्चा में आई थीं. अब उन्होंने राष्ट्रपति को खून से पत्र लिखकर एससी- एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को यथावत करने की मांग की है. उन्होंने दावा किया है कि उनके अलावा महासभा के 14 अन्य सदस्यों ने इस पत्र पर खून से साइन किए हैं.

पूजा शकुन ने दावा किया कि मोदी सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट में किया गया संशोधन जातियों के बीच टकराव पैदा करेगा. पत्र में उन्होंने आशंका जताई है कि संशोधन से इस अधिनियम के दुरुपयोग हो सकता है जो शोषण का कारण बन जाएगा. इससे समाज में विस्फोटक हालात पैदा हो सकते हैं. इस बिल के खिलाफ 10 सितंबर को सवर्णों ने भारत बंद किया था जिसमें इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप बहाल करने की मांग की गई थी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी-एसटी एक्ट की गिरफ्तारी की शर्तों में ढील दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि इसमें आरोपी को अग्रिम जमानत मिल सकती है. मामले की जांच उच्चाधिकारी करेंगे, उनकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को एससी/एसटी के विरुद्ध बताते हुए एससी/एसटी समुदाय के लोगों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने बिल लाकर पुराने नियमों को बहाल कर दिया. इसी मुद्दे पर सवर्ण संगठन बीजेपी से नाराज चल रहे हैं.

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