नई दिल्ली: सरकार को नोटबंदी की लागू किए हुए 43 दिन हो चुके हैं. नोटबंदी के 42 दिनों में एटीएम और बैंकों के बाहर के हालात जस के तस बने हुए हैं, उसपर सरकार भी अबतक 59 बार अपने नियम बदल चुकी है.
8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करते हुए पीएम ने लोगों को आश्वासन दिया था कि 30 नवंबर तक आम आदमी आराम से बैंकों में जाकर पैसे जमा कर सकता हैं. वहीं परसों सरकार ऐलान करती है कि एक बार में पैसा जमा कराना होगा और बैंक को बताना होगा कि अब तक पैसे क्यों जमा नहीं कराए.
सरकार लगभग हर रोज अपने नियम बदल रही है. वो कभी पैसे एक्सचेंज करने की लिमिट बदलती है तो कभी पैसा निकालने की तो कभी पुराने नोट कहां चल सकेंगे इसकी लिमिट. ऊपर से सरकार और RBI दोनों के स्टेटमेंट और ज़मीनी हकीकत में भी फर्क दिखता है.
एकतरफ तो RBI कहती है नोटों की कमी नहीं है लेकिन बैंक नोटों की कमी का रोना रोते हैं. वित्तमंत्री कहते हैं कि नोट जमा कराने पर बैंक सवाल नहीं पूछेंगे लेकिन असलियत में लोगों को लिखित में देना पड़ रहा है कि नोट जमा कराने में देरी क्यों हुई.
ऐसे में सीधा सवाल ये कि क्या बदलते दिनों के साथ-साथ बदलते नियम सरकार की नाकाम तैयारी का सर्टिफिकेट हैं? क्या सरकार से प्लानिंग के लेवल पर बड़ी चूक हुई है जिसका खामियाज़ा आम जनता भुगत रही है?
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