पूणे पुलिस द्वारा कोरेगांव हिंसा को लेकर देशव्यापी छापेमारी में 5 एक्टिविस्टों को गिरफ्तार किए जाने को लेकर जानी मानी लेखिका-कार्यकर्ता अरुंधती रॉय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरेआम लोगों की हत्या करने वालों पकड़ने की जगह वकीलों , लेखकों और कवियों को पक़ड़ा जा रहा. ये इमरजेंसी की स्थिति है.
नई दिल्ली. जानी मानी लेखिका-कार्यकर्ता अरुंधती रॉय ने आज कई शहरों में पुलिस की छापेमारे में कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किए जाने की निंदा करते हुए कहा कि ये बिल्कुल खतरनाक है. उन्होंने इस स्थिति की तुलना आपातकाल के साथ कर दी. बता दें कि पूणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल होने के आरोप में मंगलवार को देशव्यापी छापेमारी में 5 एक्टिविस्टों को गिरफ्तार किया है. ये लोग माओवादी शुभचिंतक हैं और दक्षिणपंथी संगठन इन्हें शहरी नक्सली भी कहते हैं. गिरफ्तार लोगों में सुधा भारद्वाज, अरुण फेरीरा, वर्नान गोनजाल्विज, गौतम नौलक्खा और वरवर राव शामिल हैं. इन्हें दिल्ली, फरीदाबाद, गोवा, मुंबई, थाणे, रांची और हैदराबाद में उनके घरों से गिरफ्तार किया गया.
अरुंधति ने कहा है कि सरेआम लोगों की हत्या करने वालों और लिंचिंग करने वालों की जगह वकीलों, कवियों, लेखकों, दलित अधिकारों के लिए लड़ने वालों और बुद्धिजीवियों के यहां छापेमारी की जा रही हैं. इससे पता चलता है कि भारत किस ओर जा रहा है. हत्यारों को सम्मानित किया जाएगा, लेकिन न्याय और हिंदू बहुसंख्यकवाद के ख़िलाफ़ बोलने वालों को अपराधी बनाया जा रहा है. क्या ये आने वाले चुनावों की तैयारी है? हम ऐसा नहीं होमे देंगें. हमें साथ आना होगा वरना जीने की आजादी खो देंगें. ये हालात किसी इमरजेंसी से कम नहीं.’
In June this year, five activists from Maharashtra were arrested on suspicion of having links with banned Maoist groups. The activists who were arrested have a history of working to protect the rights of some of India’s most marginalized people.
— Amnesty India (@AIIndia) August 28, 2018
इसके अलावा इस रेड पर मानवाधिकार संस्थान एमनेस्टी इंडिया ने कहा है कि सरकार को डर के माहौल बनाने की बजाय लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी, सहयोग और शांतिपूर्ण असेंबली के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.
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