नई दिल्ली : घूरती नज़रें, अंदर तक चीरती नज़रें, कुछ नहीं बदला. चार साल पहले दिल्ली में एक लड़की की आबरू चलती बस में क्रूरता के साथ लूट ली गई. देश का गुस्सा सड़कों पर था. सब बदलाव चाहते थे, लेकिन उस निर्भया कांड के चार साल बाद आज हालात कितने बदले हैं.
निर्भया कांड के चार साल बाद महिलाओं की सुरक्षा की ज़मीनी हकीकत क्या है. कानून और फंड बनाकर सरकार ने अपना काम कर दिया, बस हो गया. दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने क्या बदला, वो तो महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद संजीदा थी चुनावी घोषणा पत्र में.
आज भी दिल्ली में 6 लड़कियों के साथ हर रोज दरिंदगी होती है. 181 हेल्पलाइन नंबर महिला आयोग के पेज से गायब क्यों हो गया ? देशभर में सरकारें महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर ही नहीं हैं ?
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