अम्मा को दफनाए जाने का हुआ विरोध, ‘मोक्ष’ के लिए दोबारा किया गया अंतिम संस्कार

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद उनके पार्थव शरीर को दफना दिया गया था. जयललिता की मौत के दस दिन बाद भी उनके अंतिम संस्कार को लेकर विरोध अब भी जारी है. इस बीच खबर यह भी आ रही है कि जयललिता की 'मोक्ष' प्राप्ति के लिए उनके रिश्तेदारों ने मंगलवार को हिंदू रीति-रिवाज से उनका दोबारा अंतिम संस्कार किया है.

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अम्मा को दफनाए जाने का हुआ विरोध, ‘मोक्ष’ के लिए दोबारा किया गया अंतिम संस्कार

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  • December 14, 2016 4:32 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
चेन्नई. तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद उनके पार्थव शरीर को दफना दिया गया था. जयललिता की मौत के दस दिन बाद भी उनके अंतिम संस्कार को लेकर विरोध अब भी जारी है. इस बीच खबर यह भी आ रही है कि जयललिता की ‘मोक्ष’ प्राप्ति के लिए उनके रिश्तेदारों ने मंगलवार को हिंदू रीति-रिवाज से उनका दोबारा अंतिम संस्कार किया है. 
 
खबरों के अनुसार जयललिता के रिश्तेदारों का यह मानना था कि जयललिता को दफनाए जाने के कारण उन्हें  ‘मोक्ष’ की प्राप्ति नहीं हो पाई है. इसलिए मंगलवार को उनके परिवार वालों ने दाह संस्कार किया. उनका दाह संस्कार श्रीरंगपटन स्थित कावेरी तट पर पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ किया गया.
 
खबर है कि उनकी अंतिम संस्कार की रस्मों को मुख्य पुजारी रंगनाथ लंगर ने पूरा करवाया. बताया जा रहा है कि एक गुड़िया को जयललिता की प्रतिकृति मानते हुए उनका अंतिम संस्कार किया गया है. उनका मानना है कि इस रस्म से जयललिता को ‘मोक्ष’ की प्राप्ति हो जाएगी. इसके अलावा संस्कार से जुड़े कुछ और कर्मों को अगले पांच दिन में पूरा किया जाएगा. जयललिता के दाह संस्‍कार में उनके सौतेले भाई वरदराजू के अलावा अन्‍य कई रिश्‍तेदार शामिल थे.
 
‘क्या मेरी बहन नास्तिक थीं’
वहीं जयललिता के भाई ने उनको दफनाए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या मेरी बहन नास्तिक थीं और क्या वो हिंंदू त्योहारों और मान्यताओं को नहीं मानती थीं? उन्होंने सवाल करते हुए पूछा कि तो फिर पार्टी ने उन्हें दफनाने का निर्णय क्यों किया? इसके अलावा हमें उनके अंतिम संस्कार से दूर क्यों रखा गया?’ 

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