नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद से डिजिटल ट्रांजैक्शन का चलन तेजी से बढ़ा है. छोटे दुकानदार भी पेटिएम या ई-वालेट के जरिए लेनदेन करना सीख रहे हैं. सरकार भी लोगों से डिजिटल ट्रांजैक्शन को प्राथमिक्ता देने की अपील कर रही है. लेकिन इन सबके बीच खबर है कि डिजिटल लेनदेन के चलते साल 2017 तक 60 से 65 फीसदी तक मोबाइल फ्रॉड बढ़ेंगे.
यह अनुमान एसोचैम और रिसर्च फर्म ईवाई की तरफ से किए गए साझा शोध “स्ट्रेटजिक नैशनल मेजर टू कॉम्बैट साइबरक्राइम” में सामने आया है.
स्टडी में ये भी सामने आया है कि मोबाइल फ्रॉड एक चिंता का विषय है क्योंकि 40 से 45 फीसदी वित्तीय लेन देन मोबाइल से किया जा रहा है जिससे फ्राड होने का खतरा 60 से 65 फीसदी तक बढ़ सकता है। गौरतलब है कि साइबरक्राइम में सबसे ज्यादा क्रेडिट और डेबिट कार्ड के फ्राड सामने आते हैं. बीते तीन वर्षों में ऐसे फ्राड की संख्या छह गुना बढ़ गई है.
जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन शिकायतों में से करीब 46 फीसदी शिकायतें क्रेडिट और डेबिट कार्ड संबंधित होती है और 39 फीसदी शिकायतें फेसबुक से संबंधित होती है. इन शिकायतों में पिक्चर की मॉर्फिंग, साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग शामिल है.
अन्य माध्यमों के तहत आने वाली साइबर शिकायतों में मोबाइल से 21 फीसदी, ई मेल आईडी हैकिंग से 18 फीसदी और अनचाही कॉल्स व एसएमएस से 12 फीसदी आते हैं। डाटा सुरक्षा उपायों को लागू करने और सक्रिय सुरक्षा निगरानी क्षमताएं विकसित करना एक संगठन के लिए महत्वपूर्ण कारक है ताकि ऐसे खतरों पर काबू पाया जा सके और वित्तीय, बौद्धिक और ग्राहक से संबंधित जानकारियों को सुरक्षित किया जा सके.