सुप्रीम कोर्ट में शेल्टल मामले में हुई सुनवाई में केंद्र सरकार पूछा कि आखिर हॉस्टल में बच्चों की कमी क्यों आई. सुप्रीम कोर्ट ने जेजे एक्ट, जुवेलाइन जस्टिस एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि अगर ठीक से पेश हुआ होता तो मुजफ्फरपुर हॉस्टल रेपकांड या देवरिया बालिका गृह कांड जैसी घटनाएं नहीं होती.
नई दिल्ली. शेल्टर होम मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर JJ ACT अगर ठीक से लागू होता तो देवरिया और मुजफ्फरपुर हॉस्टल रेपकांड जैसी घटनाएं नहीं होती. सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम में बच्चों की संख्या में तेजी से आई कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उनके पास भी दिल और आत्मा है. आखिर बच्चों की संख्या में इतनी कमी क्यों आई.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि केंद्र स्तर राज्य स्तर पर शेल्टर होम की निगरानी के लिए कमिटी बनाई जाए. बच्चों की संख्या में आई कमी को लेकर केंद्र सरकार ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में राज्यों से बात कर जवाब दाखिल करेगी. वही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा चलाये जा रहे चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में रहने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है.
केंद्र सरकार ने बताया कि 2016 में ये संख्या 4 लाख थी जो घटकर 2 लाख हो गई है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर ये बच्चे कहां गए? ये जो संख्या है वो अलार्मिंग है? केंद्र सरकार ने कहा की 2016 के सर्वे के मुताबिक 4 लाख 70 हज़ार बच्चे अनाथालय समेत दूसरे संस्थान में थे लेकिन WCD की मिनिस्ट्री ने 2018 में जो आंकड़े दिए है उसमें 2 लाख 61 हजार बच्चे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा कि इन शेल्टर होम को कैसे मॉनिटर किया जाए इसको लेकर कोई योजना बनाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो बच्चों की संख्या कम हुई है आखिर वो कहां गए? कितने बच्चे गुमशुदा है इसको क्या डेटा है. देश में 9569 शेल्टर होम है जिसमें से 5764 रजिस्टर्ड नही है. 50 फीसदी से ज्यादा शेल्टर होम ओवर क्राउडेड है.
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