नई दिल्ली : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक पर बेहद गंभीर सवाल उठाए हैं, चूंकि तीन तलाक और चार शादियों के मुस्लिम पर्सनल लॉ के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में चल रही है इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक के बारे में कोई आदेश नहीं दिया है लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो टिप्पणियां की हैं, वो मुस्लिम समाज और पर्सनल लॉ को इस्लाम और संविधान के कठघरे में खड़ा करने के लिए काफी हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक मामला चल रहा था, जिसमें बुलंदशहर के 53 साल के अधेड़ ने बिना वजह अपनी पहली बीवी को तीन तलाक दिया और 23 साल की लड़की से निकाह कर लिया. लड़की के घर वालों से झगड़ा शुरू हुआ, तो हाईकोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई गई.
हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुनीत कुमार ने इस बात पर चिंता जताई कि सिर्फ मौज के लिए. पत्नी से आधी उम्र की लड़की पर दिल आ जाने के चलते तीन तलाक देने को सही कैसे ठहराया जा सकता है.
हाईकोर्ट ने साफ-साफ कहा कि तीन तलाक असंवैधानिक है. इसके जरिए महिलाओं के साथ क्रूरता हो रही है और पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को उन मौलानाओं के चंगुल में नहीं छोड़ा जा सकता, जो कुरानशरीफ की अपने-अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं. आज इसी मुद्दे पर हुई बड़ी बहस कि क्या तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के साथ क्रूरता है ?
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