वाशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 150 विकासशील देशों के अंदर कई दशक तक की स्टडी के बाद मान लिया है कि अमीरों से गरीब तक पैसे के पहुंचने की ट्रिकल डाउन थ्योरी गलत है. दरअसल, अमीरों के और अमीर होने से जीडीपी में कमी ही आती है
वाशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 150 विकासशील देशों के अंदर कई दशक तक की स्टडी के बाद मान लिया है कि अमीरों से गरीब तक पैसे के पहुंचने की ट्रिकल डाउन थ्योरी गलत है. दरअसल, अमीरों के और अमीर होने से जीडीपी में कमी ही आती है.
अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 80 के दशक में इस नीति को सामने लाया जिसकी बुनियाद ये थी कि अमीर जब पैसे कमाएंगे तो वो पैसा निवेश करेंगे जिससे नई नौकरी पैदा होगी और फिर वो पैसा धीरे-धीरे नीचे गरीब तक जाएगा. रीगन ने इस बुनियाद पर अमीरों और कॉरपोरेट के टैक्स कम किए, उनके मुफीद नीतियां बनाईं ताकि वो ज्यादा पैसे जुटा सकें और उसे वापस मार्केट में लगा सकें.
लेकिन अंतरराट्रीय मुद्रा कोष ने 150 विकासशील देशों के अंदर कई दशक तक स्टडी करने के बाद ये मान लिया है कि इसका कोई असर नहीं होता नीचे के लोगों पर बल्कि इससे अमीर और अमीर होते जाते हैं और गरीब वहीं टिका रहता है. रिपोर्ट ने ये माना है कि अमीरों के बदले गरीब और मध्यम वर्ग को आर्थिक रूप से मजबूत करने पर देश का ज्यादा बेहतर विकास होता है.
रिपोर्ट में लोगों की आय में अंतर पर खास फोकस किया गया है. रिपोर्ट ने पाया कि अगर किसी देश में आर्थिक रूप से ताकतवर लोगों की आय में 1 फीसदी की बढ़त हुई तो उस देश की जीडीपी में अगले पांच साल तक 0.08 फीसदी की कमी बनी रही. लेकिन अगर गरीब लोगों की आय 1 फीसदी बढ़ी तो अगले पांच साल में देश की जीडीपी में 0.38 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई.
अंतरराट्रीय मुद्रा कोष की पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें- https://www.imf.org/external/pubs/ft/sdn/2015/sdn1513.pdf