नई दिल्ली. किसी भी देश के लिए आपातकाल से बुरा कुछ नहीं होता है. हिंदुस्तान चालीस साल पहले इमरजेंसी का दंश झेल भी चुका है लेकिन क्या इमरजेंसी के हालात आज भी जन्म ले रहे हैं? ये सवाल बीजेपी के मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी के एक इंटरव्यू के बाद से बहस का मुद्दा बन गया है. […]
नई दिल्ली. किसी भी देश के लिए आपातकाल से बुरा कुछ नहीं होता है. हिंदुस्तान चालीस साल पहले इमरजेंसी का दंश झेल भी चुका है लेकिन क्या इमरजेंसी के हालात आज भी जन्म ले रहे हैं? ये सवाल बीजेपी के मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी के एक इंटरव्यू के बाद से बहस का मुद्दा बन गया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने साफ साफ कहा कि उन्हें विश्वास नहीं है कि देश में फिर से इमरजेंसी नहीं थोपी जा सकती. नागरिक स्वतंत्रता फिर से छीनी नहीं जा सकती.
अब आपातकाल को लेकर आडवाणी की ये आशंका क्यों है, इसका जवाब तो आडवाणी ही जानते होंगे, लेकिन आडवाणी के इस डर ने विरोधियों को एक मुद्दा जरूर थमा दिया है, और बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है, लिहाजा सबसे बड़ा सवाल यही है कि आडवाणी को इमरजेंसी जैसे हालात की आशंका क्यों लग रही है ? आखिर किस बात से निराश हैं बीजेपी के ‘मार्गदर्शक’ ?