उत्तराखंड : शाम होते ही आंखों की चली जाती है ‘रोशनी’, पूरा गांव परेशान

1992 में आई फिल्म 'बोल राधा बोल' तो आपको याद ही होगी और जब आपको फिल्म याद है तब उसमें अभिनेता कादर खान के रोल को कैसे भूल सकते हैं. इसमें उन्हें दिन में तो सबकुछ बिल्कुल साफ दिखाई देता था, लेकिन रात होते ही बिल्कुल दिखना बंद हो जाता है. हम आपको बिल्कुल ऐसे ही हालात से जुझती हुई एक रियल लाइफ लड़की का दर्द बयां करने जा रहें हैं.

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उत्तराखंड : शाम होते ही आंखों की चली जाती है ‘रोशनी’, पूरा गांव परेशान

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  • December 5, 2016 6:18 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
देहरादून. 1992 में आई फिल्म ‘बोल राधा बोल’ तो आपको याद ही होगी और जब आपको फिल्म याद है तब उसमें अभिनेता कादर खान के रोल को कैसे भूल सकते हैं. इसमें उन्हें दिन में तो सबकुछ बिल्कुल साफ दिखाई देता था, लेकिन रात होते ही बिल्कुल दिखना बंद हो जाता है. हम आपको बिल्कुल ऐसे ही हालात से जुझती हुई एक रियल लाइफ लड़की का दर्द बयां करने जा रहें हैं. 
 
रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 13 साल की मासूम बच्ची मनीषा के आखों की रोशनी बचपन से ही गायब हो गई है. मनीषा की मां कलगा देवी का कहना है कि उनकी बेटी को दिन में कुछ हद तक दिखाई देता है, लेकिन शाम होते ही यानि जैसे अंधेरा होने लगता उसकी आंखों के सामने भी अंधेरा छा जाता है और बिल्कुल दिखना बंद हो जाता है.
 
मनीषा की मां मे बताया कि वो बेटी के ईलाज के लिए उन्होंने उसे पिछले दिनों देहरादून के एक अस्पताल में भी दिखाया था, लेकिन डॉकेटरों ने उसे यह कह कर मना कर दिया की इस बीमारी का कोई ईलाज नहीं है. इतना ही नहीं डॉक्टरों का यह भी कहना है कि कुछ सालों बाद मनीषा को दिन में भी दिखाई देना बंद हो जाएगा.

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