पिछले साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इंसेफेलाइटिस बीमारी की वजह से करीब 30 बच्चों की मौत हो गई थी. नोडल अफसर डॉक्टर कफील खान इस मामले में आरोपी थे. उन्हें जेल भी जाना पड़ा. अब एक RTI से खुलासा हुआ है कि 11 अगस्त, 2017 की रात तक बीआरडी अस्पताल ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी से जूझ रहा था. डॉक्टर कफील ने ऑक्सीजन सिलेंडर लाने में अस्पताल प्रशासन की मदद की थी.
लखनऊः यूपी के गोरखपुर में बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में पिछले साल 10 अगस्त की रात जो हुआ, उसे उन परिवारों के लिए भुलाना बेहद मुश्किल है जिन्होंने उस काली रात अपने मासूमों को खोया था. अब एक RTI से खुलासा हुआ है कि उस रात अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी थी. दूसरे अस्पतालों से 6 सिलेंडर मंगाए गए थे. उस समय नोडल अफसर डॉक्टर कफील खान जिन पर बच्चों की मौत के मामले में आरोप लगाए गए, ने 4 सिलेंडरों का खुद से इंतजाम किया था.
लखनऊ के रहने वाले एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने आरटीआई के जरिए यह जानकारी मांगी थी. संजय शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार इस मामले की सच्चाई को छुपा रही है. डॉक्टर कफील खान ने उस मुश्किल समय में लोगों की मदद की थी. सिलेंडरों की कमी की बात डॉक्टर कफील पहले भी कह चुके हैं. उस समय कफील खान ने कहा था कि अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी थी क्योंकि अस्पताल प्रशासन ने सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड को समय पर भुगतान नहीं किया था.
आरटीआई के जरिए जानकारी मांगने वाले संजय शर्मा ने कहा, ‘मैंने पिछले साल के अंत में RTI से जानकारी मांगी थी, जो मुझे इस साल जुलाई में मिली. इसमें जांच रिपोर्ट की जानकारी भी नहीं है. RTI से पता चला है कि घटना के दौरान बीआरडी अस्पताल में बाहर से सिलेंडर मंगाए गए थे. यानी यह साफ है कि 11 अगस्त की रात तक अस्पताल में सिलेंडरों की कमी थी. अगर सरकार के मुताबिक उस रात अस्पताल में सब कुछ सही था तो वह लोग जांच रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहे हैं.’
बताते चलें कि घटना के आरोपियों में से एक डॉक्टर कफील खान 8 महीने जेल में रहने के बाद फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. उन्होंने इस घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया. डॉक्टर कफील ने कहा कि उनके और उनके परिवार को बगैर किसी वजह के टारगेट किया जा रहा है. सरकार खुद को इससे अलग रख रही है और निर्दोषों को फंसा रही है. कफील खान ने कहा, ‘मैं उस रात की घटना को हमेशा नरसंहार कहूंगा जिसके लिए सरकार और अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार है. अस्पताल में पर्याप्त सिलेंडर रखने की उन लोगों की जिम्मेदारी थी जिन्हें पिछले 6 महीने में 14 बार सप्लायर कंपनी पुष्पा सेल्स का पेमेंट करने के लिए याद दिलाया गया था लेकिन उन्होंने कंपनी का पेमेंट क्लियर नहीं किया.’
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