पीएम नरेंद्र मोदी की कैशलेस अर्थव्यवस्था के आगे हैं ये रुकावटें !

500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं हैं. पीएम मोदी के सामने ऐसे कई रुकावटें हैं जिससे कैशलेस इकोनॉमी में काफी दिक्कतें आएंगी.

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पीएम नरेंद्र मोदी की कैशलेस अर्थव्यवस्था के आगे हैं ये रुकावटें !

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  • December 4, 2016 5:01 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं हैं. पीएम मोदी के सामने ऐसे कई रुकावटें हैं जिससे कैशलेस इकोनॉमी में काफी दिक्कतें आएंगी.
 
भारत में दूसरे विकसित देंशों से कई ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं. लेकिन बहुत कम लोगों के पास ही स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 90 फीसदी लेनदेन नकद होता है. और कैशलेस अर्थव्यवस्था पूरी तरह अपानाए जाने में ये राह के राड़े बन सकते हैं…
 
स्मार्टफोन नहीं
भारत में करीब 80 फीसदी आबादी के पास स्मार्टफोन नहीं है. कम आय होने के कारण लोग स्मार्टफोन पर पैसा नहीं खर्च कर सकते.
 
ब्राडबैंड सेवा
देश में मौजूद ब्राडबैंड सेवा का सिर्फ 15 फीसदी भारतीय ही इस्तेमाल कर पा रहें हैं. ट्राई के मुताबिक देश में जितने ब्राडबैंड कनेक्शन हैं उनमें से 10 फीसदी कनेक्शन तो चालू ही नहीं हैं.
 
इंटरनेट नहीं
देश में 27 फीसदी यानी लगभग 35 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं और बाकी लोगों के पास इंटरनेट ही नहीं है. बिना इंटरनेट के कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा नहीं मिल सकता है.
 
स्पीड काफी धीमी
देश में इंटरनेट सेवा तो है लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत में इसकी स्पीड काफी धीमी है. भारत में जहां एक पेज लोड होने में औसत समय 5.5 सेकेंड लेता है वहीं पड़ोसी देश चीन में 2.6 सेकेंड और विश्व में सबसे तेज इजरायल में 1.3 सेकेंड ही एक पेज लोड होने में समय लेता है.

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