Vishwaroopam 2 movie review: कमल हासन की विश्वरुपम 2 की कहानी पिछली विश्वरुपम से आगे बढ़ती है, और कुछ पीछे भी जाती है. कमल हासन अमेरिका के कत्थक गुरु विश्वनाथ की भूमिका में थे, जिन पर उनकी न्यूक्लियर ओन्कोलॉजिस्ट पत्नी निरूपमा (पूजा कुमार) शक करती है और तलाक पाने के लिए सुबूत की खातिर एक डिटेक्टिव को उनके पीछे लगा देती है. तब पता चलता है कि विश्वनाथ तो एक मुस्लिम है.
बॉलीवुड डेस्क, दिल्ली. Vishwaroop 2 Movie Review: कमल हासन अभिनेता से नेता बन गए हैं. काफी व्यस्त हो गए हैं, ऐसे में उनके लिए नई मूवी में एक्टिंग, डायरेक्शन और राइटिंग के लिए समय निकालना काफी मुश्किल काम था. लेकिन उन्होंने कैसे करके भी निकाला क्योंकि ये मूवी उनकी सुपरहिट मूवी विश्वरूपम का सीक्वल था. लेकिन नेता, हीरो, डायरेक्टर और राइटर के साथ साथ प्रोडयूसर की भी जिम्मेदारी उन्हें निभानी पड़ी तो उनके लिए मुश्किल हो गई और इस मुश्किल का साफ साफ असर उनकी मूवी विश्वरूपम 2 पर दिखता भी है
मूवी की कहानी पिछली विश्वरुपम से आगे बढ़ती है, और कुछ पीछे भी जाती है. कमल हासन अमेरिका के कत्थक गुरु विश्वनाथ की भूमिका में थे, जिन पर उनकी न्यूक्लियर ओन्कोलॉजिस्ट पत्नी निरूपमा (पूजा कुमार) शक करती है और तलाक पाने के लिए सुबूत की खातिर एक डिटेक्टिव को उनके पीछे लगा देती है. तब पता चलता है कि विश्वनाथ तो एक मुस्लिम है, असली नाम विशम अहमद कश्मीरी है जो अल कायदा के उमर (राहुल बोस) व सलीम (जयदीप अहलावत) के लिए काम करता है. असल में वो रॉ ऑफिसर होता है, जो उनके ठिकाने पर सीआईए का अटैक करवा देता है, लेकिन उमर और सलीम बचकर निकल जाते हैं. अब निरूपमा विशम के हैंडलर/बॉस (शेखर कपूर) के साथ इंडिया आती है, ओल्ड एज होम में रह रही उसकी मां वहीदा रहमान से मिलने, तो साथ में होती है रॉ की एक अफसर अस्मिता (एंड्रिया) भी.
उमर लगातार विशम के पीछे है और दो बड़ी योजनाएं भी बनाता है, एक तरफ सेकंड वर्ल्ड वॉर में लंदन के पास समुद्र में डूबे शिप में बड़े विस्फोटकों के जरिए लंदन को दहलाने की और दूसरी जितने साल स्वतंत्रता दिवस को हुए, दिल्ली में उतने ही धमाके करने की. जिसमें उसका साथ देता भारत सरकार का एक अधिकारी राजेश मेहता (अनंत महादेवन), लेकिन विषम ना केवल इन हमलों से बचता है, बल्कि उमर की दोनों योजनाओं को फेल भी कर देता है. सलमान खान की टाइगर सीरीज की तरह ही बनी है विश्वरूपम सीरीज, लेकिन 63 साल के हो चुके कमल हासन ना सुपर डुपर एक्शन करने के लिए उतने जवान रह गए हैं और ना नेतागिरी में उतरने के चलते उनके पास फुरसत है.
तभी तो लगता ही फिल्म का 70 से 80 फीसदी हिस्सा उन्होंने पहले ही फिल्मा लिया था. यहां तक फिल्म में 64 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा होता है. साफ था इरादा 2013 में रिलीज का था. इसके चलते काफी फ्लैश बैक का भी इस्तेमाल किया गया है. जिसके चलते साफ लगता है कमल हासन के होने के वाबजूद ये कमल हासन की बाकी फिल्मों जैसे लेवल पर नहीं पहुंच पाई. ये अलग बात है कि फिल्म से एकता कपूर ने हाथ खींच लिया तो कमल हासन ने खुद प्रोडयूस किया, सो कम पैसे में फिल्म को जैसे तैसे 5 साल बाद रिलीज किया. कई भाषाओं में रिलीज किया है, सेटेलाइट राइट्स भी हैं, सो फिल्म अपना पैसा तो निकाल ही लेगी.कमल हासन की एक्टिंग पर सवाल उठा नहीं सकते, पूजा कुमार को ज्यादा मौका मिला नहीं, एंड्रिया जमी हैं, राहुल बोस ने कमल की तरह ही पहली बार लुक में इतने एक्सपेरीमेंट करके खुद को साबित किया और जयदीप अहलावत अपनी एक्टिंग के जरिए धीरे धीरे बॉलीवुड के बैडमेन बनते जा रहे हैं.
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