अनुच्छेद 35A पर अलगाववादियों ने बुलाया कश्मीर बंद, अमरनाथ यात्रा दो दिन के लिए रद्द

आर्टिकल 35 ए पर सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त को सुनवाई होनी है. इसे हटाए जाने के विरोध में अलगाववादी नेताओं ने कश्मीर बंद बुलाया है. रविवार को पूरे राज्य में इसका असर देखने को मिला. अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासीन मलिक ने 'संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व' के बैनर तले यह बंद बुलाया है.

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अनुच्छेद 35A पर अलगाववादियों ने बुलाया कश्मीर बंद, अमरनाथ यात्रा दो दिन के लिए रद्द

Aanchal Pandey

  • August 5, 2018 9:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

जम्मू. जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा बुलाए गए बंद के कारण रविवार को जिंदगी थमी सी नजर आई. अलगाववादियों ने कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35A का समर्थन देने के लिए बंद का आह्वान किया था. इस बंद का असर अमरनाथ यात्रा पर भी पड़ रहा है. अलगाववादियों के बंद के आह्वान के चलते प्रशासन ने अमरनाथ यात्रा दो दिन के लिए रद्द करने का फैसला किया है. अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासीन मलिक ने ‘संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व’ के बैनर तले रविवार और सोमवार बंद का ऐलान किया है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अलगाववादी संगठनों ने धमकी दी है कि कोर्ट अगर अनुच्छेद 35A को हटाएगी तो वे जन आंदोलन करेंगे. अलगाववादी नेताओं के ऐलान का असर समूचे राज्य में देखा गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार को सभी दुकानें और व्यापारिक संस्थान पूरी तरह बंद रहे. सुरक्षाबल सभी जगह तैनात रहे. इस दौरान हिंसा की कोई घटना नहीं दर्ज हुई. वहीं दूसरी तरफ अमरनाथ यात्रियों को भगवती नगर यात्री निवास से आगे नहीं बढ़ने दिया गया है. उधमपुर और रामबन में विशेष जांच चौकियां बनाई गई हैं.

क्या है अनुच्छेद 35A 
अनुच्छेद 35A पर जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से बहस चल रही है. यह धारा 370 का ही एक हिस्सा है जिसके तहत वहां की सरकार और निवासियों को स्थायी निवासी तय करने का विशेष अधिकार प्राप्त है. इसके तहत वहां की सरकार को यह तय करने का विशेष अधिकार है कि अन्य क्षेत्रों के लोगों को किस तरह की सहूलियतें दे या नहीं दे. 14 मई 1954 से यह अनुच्छेद राज्य में लागू है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति थे उस समय यह अनुच्छेद पारित हुआ था. जम्मू कश्मीर का संविधान 1996 में बना था. उस वक्त ही यहां की स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया था. इसके मुताबिक, 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या 14 मई 1954 से पहले के 10 वर्षों से वहां रहने वाला व्यक्ति ही स्थायी नागरिक है. इसके साथ ही दूसरे राज्य के नागरिक यहां संपत्ति नहीं खरीद सकते. अगर किसी महिला की शादी दूसरे राज्य में हो जाती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं और वह यहां की नागरिक नहीं रहती.

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