मामला ओडिशा के चुड़ामल ग्राम पंचायत के तहत आने वाले अमानपाली गांव का है. महिला एक भिखारिन थी, जो गांव में भीख मांगकर गुजारा करती थी. उसकी जाति के बारे में किसी को कुछ मालूम नहीं था. मौत के बाद समुदाय के बहिष्कार होने के डर से कोई महिला का अंतिम संस्कार करने को राजी नहीं हुआ.
भुवनेश्वर. ओडिशा के झारसुगुडा जिले में एक शर्मनाक मामला सामने आया है. भीख मांगने वाली एक महिला की मौत होने के बाद अपने समाज से बहिष्कार होने के डर से उसका अंतिम संस्कार करने के लिए गांव का कोई शख्स तैयार नहीं हुआ। इसके बाद एक बीजेडी विधायक, उसके बेटे और भतीजे ने महिला का अंतिम संस्कार किया.
रेंगाली क्षेत्र से बीजेडी विधायक रमेश पटुआ को स्थानीय पुलिस ने बताया कि चुड़ामल ग्राम पंचायत के तहत आने वाले अमानपाली गांव में कोई भी महिला के शव को छूने को तैयार नहीं है. महिला अपने बीमार देवर के साथ रहती थी और गांव में भीख मांगकर ही उसका गुजारा होता था. द हिंदू के मुताबिक गांववालों को उसकी जाति भी नहीं पता थी.
विधायक ने कहा, ”मुझे यह समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा कि कोई उसका अंतिम संस्कार क्यों नहीं करना चाहता. गांव में चली आ रही प्रथा के मुताबिक अगर कोई अन्य जाति के शख्स को छू ले तो उसे उसके ही समुदाय से बहिष्कार कर दिया जाता है। पटुआ ने कहा, चूंकि मैं घटनास्थल से दूर था, इसलिए मैंने महिला के शव को कब्रिस्तान लेने जाने के लिए अपने परिवार के दो लोगों को भेजा”.
संबलपुर जिले में स्थित विधायक का लोइडा गांव अमानपाली से दो किलोमीटर दूर है. यह जगह झारसुगुडा जिले में आती है, फिर भी विधायक ने महिला का अंतिम संस्कार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। विधायक ने कहा, मुझे लगा कि परिवार के दो युवा स्थिति शायद संभाल न पाएं, इसलिए मैं भी घटनास्थल पर पहुंच गया. हमने बांस के चार टुकड़ों से अर्थी तैयार की और महिला के शव को श्मशान ले जाकर अंतिम क्रिया पूरी की. बता दें कि पटुआ ओडिशा के सबसे गरीब विधायकों में से एक हैं. उनके पास पर्याप्त जमीन भी नहीं है और वह किराये के घर में रहते हैं.
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