हाशिमपुरा जनसंहार: 16 PAC जवान बरी

दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हाशिमपुरा में हुए जनसंहार मामले में प्रांतीय सशस्त्र पैदल सेना (पीएसी) के 16 कर्मचारियों को बरी कर दिया. यह जनसंहार 1987 में हुआ था, जिसमें 42 लोग मारे गए थे. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय जिंदल ने पीएसी के 16 कर्मचारियों को हत्या, हत्या के प्रयास, सबूतों से छेड़छाड़ तथा साजिश के आरोपों से बरी कर दिया.
 

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हाशिमपुरा जनसंहार: 16 PAC जवान बरी

Admin

  • March 22, 2015 2:17 am Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हाशिमपुरा में हुए जनसंहार मामले में प्रांतीय सशस्त्र पैदल सेना (पीएसी) के 16 कर्मचारियों को बरी कर दिया. यह जनसंहार 1987 में हुआ था, जिसमें 42 लोग मारे गए थे. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय जिंदल ने पीएसी के 16 कर्मचारियों को हत्या, हत्या के प्रयास, सबूतों से छेड़छाड़ तथा साजिश के आरोपों से बरी कर दिया.
 
आपको बता दें कि सुरेश चंद शर्मा, निरंजन लाल, कमल सिंह, रामबीर सिंह, समी उल्लाह, महेश प्रसाद, जयपाल सिंह, राम ध्यान, श्रवण कुमार, लीला धर, हमबीर सिंह, कुंवर पजल सिंह, बुद्धा सिंह, बुद्धि सिंह, मोखम सिंह तथा बसंत बल्लभ आरोपों का सामना कर रहे थे. मेरठ दंगों के आरोपियों को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है . साल 1987 में मेरठ के हाशिमपुरा में दंगा हुआ था जिसमें 19 लोग आरोपी बनाये गये थे .दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सभी आरोपियों को छोड़ दिया है . 22 मई 1987 को एक समुदाय विशेष के 42 लोगों की हत्या की गई थी .

दिल्ली की एक अदालत ने 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले के 16 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए आरोपमुक्त कर दिया. अदालत ने कहा कि सुबूतों, खास तौर पर आरोपियों की पहचान से जुड़े सबूतों का अभाव था. अदालत ने पीड़ितों के पुनर्वास के लिए मामला दिल्ली राज्य विधि सेवा अधिकरण के हवाले कर दिया. अदालत ने उन्हें संदेह का लाभ देते हुए कहा कि सबूतों की कमी के कारण मामले में उनकी संलिप्तता साबित नहीं हुई है.  अदालत ने कहा कि चूंकि आरोपियों को मामले से रिहा कर दिया गया है, इसलिए पीड़ितों व प्रभावितों का पुनर्वास किया जाना चाहिए.
 
अदालत ने कहा कि पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए जिला कानून सेवा प्राधिकार से एक सिफारिश की गई है. इस मामले में कुल 19 लोग आरोपी बनाए गए थे, जिनमें से तीन की सुनवाई के दौरान मौत हो गई. ये हत्याएं कथित तौर पर मेरठ में दंगे के दौरान हुईं, जिसमें पीएसी की 41वीं बटालियन द्वारा तलाशी अभियान के दौरान पीड़ितों को हाशिमपुरा मोहल्ले से उठाया गया था.
 
मामले में आरोप पत्र साल 1996 में गाजियाबाद के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दाखिल किया गया था. जनसंहार के पीड़ितों की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को सितंबर 2002 में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया. यहां की एक सत्र अदालत ने जुलाई 2006 में आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, सबूतों से छेड़छाड़ तथा साजिश का आरोप तय किया था.

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