नई दिल्ली. पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के सामने अब ये सवाल बिलियन डॉलर का हो गया है कि पाकिस्तान में कौन बनेगा चीफ? चीफ यानी पाक आर्मी का चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ. पाक आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल राहिल शरीफ 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं और अब तक नए जनरल का नाम तय नहीं हो पाया है.
पाकिस्तान परेशान, नवाज़ गए तुर्कमेनिस्तान
चार दिन बाद रिटायर हो रहे आर्मी चीफ के हवाले पाकिस्तान को छोड़कर नवाज़ शरीफ दो दिन की तुर्कमेनिस्तान यात्रा पर रवाना हो गए हैं.
69 साल से पाक आर्मी के जनरलों के सहमे पाकिस्तान के लोग परेशान हैं कि नए आर्मी का चीफ का नाम सुनने के इंतज़ार में ये दो-चार दिन कैसे बीतेंगे?
जनरल शरीफ क्या चाहते हैं ?
पाक आर्मी का चीफ चुनने का अधिकार यूं तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पास है, लेकिन चलती है आर्मी के चीफ की ही. रिटायर होने वाले आर्मी चीफ अपनी पसंद के अफसर को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाने की सिफारिश करके जाते हैं. जनरल राहिल शरीफ ने अपनी पसंद के वारिस का नाम नवाज़ शरीफ को बताया है या नहीं, इस पर भयानक सस्पेंस है.
पांच के पेंच में फंसे नवाज़ !
पाकिस्तानी मीडिया में खबर है कि नवाज़ शरीफ नए आर्मी चीफ के लिए पांच अफसरों के पेंच में उलझ गए हैं. वरिष्ठता के लिहाज से पहला नाम मौजूदा चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल ज़ुबैर हयात का है. दूसरे नंबर पर मुल्तान कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल इशफाक नदीम हैं.
तीसरे नंबर पर बहावलपुर कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जावेद इकबाल रामदे हैं. चौथे नंबर पर पाक आर्मी में ट्रेनिंग और इवैल्यूएशन के इंस्पेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल कमर जावेद बाजवा हैं. शुरुआत में यही चार नाम चर्चा में थे, लेकिन अब इसमें पांचवां नाम गुजरांवाला कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल इकराम उल हक का भी जुड़ गया है.
राहिल की चली तो इशफाक होंगे नए चीफ !
पाक आर्मी के नए चीफ की दावेदारी में सबसे आगे लेफ्टिनेंट जनरल इशफाक नदीम का नाम लिया जा रहा है. जनरल इशफाक को राहिल शरीफ का पसंदीदा अफसर माना जाता है, जिन्होंने ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज्ब का खाका तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी.
नवाज़ शरीफ के सामने मुश्किल ये है कि लेफ्टिनेंट जनरल इशफाक ‘ब्लंट’ अफसर हैं, जो अक्सर हाई लेवल मीटिंगों में पाकिस्तान सरकार को मुंह पर चार बातें सुनाकर बूट खटखटाते हुए निकल जाते हैं.
फिर कोई ‘शरीफ’ ढूंढेंगे नवाज़?
पाकिस्तान में ये चर्चा अब तेज़ हो गई है कि नवाज़ शरीफ इस बार भी राहिल शरीफ की तरह कोई अफसर ढूंढ रहे हैं. 2013 में नवाज़ शरीफ ने कई वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार कर राहिल शरीफ को आर्मी चीफ नियुक्त किया था. उन्हें तब ये सहूलियत हासिल थी कि उस वक्त के पाक आर्मी चीफ जनरल अशफाक परवेज़ कयानी ने किसी के नाम की सिफारिश नहीं की थी.
जनरल राहिल शरीफ को आर्मी ऑपरेशन का तजुर्बा ना होने के बावजूद नवाज़ शरीफ ने आर्मी चीफ बनाया और ये दांव चल गया. मतभेदों के बावजूद राहिल शरीफ ने नवाज़ की सत्ता के लिए सीधे-सीधे कोई मुसीबत नहीं खड़ी की.
सीनियॉरिटी नज़रअंदाज़ करना रास आएगा ?
ये सवाल भी लाख टके का है कि क्या इस बार सीनियॉरिटी नज़रअंदाज़ करना नवाज़ शरीफ की हुकूमत को रास आएगा? पाकिस्तान के इतिहास में इससे पहले ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने ऐसा एक्सपेरिमेंट किया था और कई अफसरों की वरिष्ठता नज़रअंदाज़ करके जनरल ज़िया उल हक को आर्मी चीफ बनाया. नतीजा पूरी दुनिया ने देखा.
1998 में नवाज़ शरीफ ने भी ऐसा ही किया था. जनरल परवेज़ मुशर्रफ को आर्मी चीफ बनाने का फैसला उनके लिए आत्मघाती साबित हुआ. राहिल शरीफ का चयन अपवाद रहा, लेकिन अब नया चीफ चुनने की घड़ी करीब है और नवाज़ ही नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान का दिल धक-धक कर रहा है कि नया आर्मी चीफ चुनने की माथापच्ची में कहीं पाक आर्मी कोई नया गुल ना खिला दे.