पेड़-पौधों में रुचि रखने वाले वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने ही किया था रेडियो का अविष्कार

प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस का निधन आज ही दिन 23 नवंबर, 1937 को बंगाल के गिरिडीह में हुआ था. पेड़-पौधों में रुचि रखने वाले जगदीश ने ही रेडियो की खोज की थी. लेकिन अगर इतिहास के पन्नों को टटोले तो मार्कोनी को रेडियो का जनक माना जाता है. इस पर कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इसका अविष्कार निकोला टेस्ला ने किया था तो वहीं कुछ लोग जगदीश चंद्र बोस को इसका श्रेय देते हैं.

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पेड़-पौधों में रुचि रखने वाले वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने ही किया था रेडियो का अविष्कार

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  • November 23, 2016 4:29 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस का निधन आज ही दिन 23 नवंबर, 1937 को बंगाल के गिरिडीह में हुआ था. पेड़-पौधों में रुचि रखने वाले जगदीश ने ही रेडियो की खोज की थी. लेकिन अगर इतिहास के पन्नों को टटोले तो मार्कोनी को रेडियो का जनक माना जाता है. इस पर कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इसका अविष्कार निकोला टेस्ला ने किया था तो वहीं कुछ लोग जगदीश चंद्र बोस को इसका श्रेय देते हैं. 
 
जगदीश एक वैज्ञानिक होने के साथ-साथ पॉलीमैथ, बायलॉजिस्ट, बॉटनिस्ट, आर्केलॉजिस्ट और फिजिसिस्ट के साथ-साथ साइंस फिक्शन के लेखक भी थे.
 
जगदीश पेङ पौधौं से संबन्धित सवालों की जिज्ञासा बचपन से रखते थें. लिए, धार्मिक वातावरण में पले, जिज्ञासु जगदीश चंद्र बसु का जन्म 30 नवंबर, 1858 को बिक्रमपुर हुआ था, जो अब ढाका , बांग्लादेश का हिस्सा ह. इनके पिता श्री भगवान सिंह बसु डिप्टी कलेक्टर थे. 
 
जगदीश एक स्कूल में पढ़ाना शुरु किया. बसु पढाने के बाद अपना पूरा समय वैज्ञानिक प्रयोग में लगाते थे. उन्होंने कई यंत्रो का आविष्कार किया जिससे बिना तार के संदेश भेजा जा सकता था. उनके इसी प्रयोग के आधार पर आज के रेडियो काम करते हैं. जगदीशचंद्र बसु ही रेडियो के असली अविष्कारक हैं लेकिन इसका क्रेडिट उन्हें नहीं मिल सका. IEEE ने उन्हें रेडियो विज्ञान के पिता की उपाधि दी
 
उसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी उन्होंने पेड़पौधों पर रिसर्च करना शुरु किया. उन्होंने ही खोज की कि पेड़-पौधे भी इंसानों की तरह सांस लेते हैं औऱ सोते हैं. इस पर उन्होंने कोस्कोग्राफ नाम का एक अविष्कार भी किया जिससे पेड़-पौधों की गति का पता लगाया जा सकता है.
 
सर जगदीश चंद्र बसु केवल महान वैज्ञानिक ही नही थे, वे बंगला भाषा के अच्छे लेखक और कुशल वक्ता भी थे. विज्ञान तो उनके सांसो में बसता था. 23 नवंबर, 1937 को विज्ञान की बंगाल के गिरिडीह में दुनिया से रुखसत हो गए थे. वैज्ञानिक जगत में भारत का गौरव बढ़ाने वाले सर जगदीश चंद्र बसु का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है. 

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