नई दिल्ली. केंद्र सरकार भले ही दावा कर रही है कि नोटबंदी और 2000 के नए लाने का फैसला काफी गोपनीय था लेकिन ये खबर काफी पहले मीडिया में आ चुकी थी.
21 अक्टूबर 2016 को अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने इस खबर को छाप दिया था कि 2000 का नोट जल्द ही जारी होने वाला है. अखबार में छपी रिपोर्ट में लिखा था कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट छापने का काम लगभग पूरा कर लिया है जल्द ही इसे बैकों में उपलब्ध कर दिया जाएगा. अखबार लिखा कि नोटों को छाप लिया गया है उनको वहां से भेजना शुरू कर दिया गया है.
इसके अलावा अखबार ने इसी रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी थी कि आरबीआई ने सबसे ज्यादा कीमत वाले 10000 रुपए के नोट 1938 और 1954 में छापे थे. वहीं 1946 फिर 1976 को इनको वापस लेने का काम लिया था.
गौरतलब है कि 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला किया था. सरकार की ओर से दावा किया जा रहा था कि कालेधन और जाली नोटों के खिलाफ सरकार ने इस ‘गुप्त कार्रवाई’ की है और 2000 के नोटों को जारी करने के बारे में भी किसी को जानकारी नहीं दी गई है.
लेकिन 21 अक्टूबर को छपी इस रिपोर्ट के बाद से सरकार की ओर से गोपनीयता के दावे पर सवाल उठना लाजिमी है. इसके अलावा हिंदी अखबार दैनिक जागरण में भी अक्टूबर के महीने में 2000 के नए नोट आने की खबर छापी गई थी.