'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' का नारा देने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज जन्मतिथि है. इस मौके पर हम इतिहास से खोजकर लाए हैं उनके बारे में कुछ ऐसी बातें जिनके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होगा. 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जन्मे तिलक से बात करने में महात्मा गांधी भी हिचकिचाते थे.
नई दिल्ली. महात्मा गांधी जब साउथ अफ्रीका में थे, तो उनके आंदोलनों की गूंज लगातार भारत में भी चर्चा का विषय बन रही थी. साउथ अफ्रीका में रहकर भी वे कांग्रेस के बारे में जानकारी लेते रहते थे. अक्सर भारत आते तो कोशिश करते कि ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस के नेताओं से मिल सकें. उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में तीन ऐसे ही नेताओं के बारे में लिखा. एक को कहा ‘गंगा’, दूसरे को कहा ‘हिमालय’ और तीसरे को ‘महासागर’. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ही वो तीसरे कांग्रेस नेता थे, जिनको उन्होंने महासागर लिखा क्योंकि महात्मा गांधी के लिए उनके मन की थाह जानना काफी मुश्किल था.
महात्मा गांधी ने तिलक के साथ अपनी जितनी मुलाकातों के बारे में लिखा है, उन सबसे ये लगता है कि कहीं ना कहीं उस वक्त बाल गंगाधर तिलक के विराट व्यक्तित्व से वे झिझकते या डरते थे. वो उनको आसान नहीं लगते थे. गांधीजी से पहले की कांग्रेस वैसे भी नरम दल और गरम दल में बंटी हुई थी. नरम दल के मुखिया गोपाल कृष्ण गोखले थे और गरम दल के लाल बाल पाल में से सबसे ज्यादा मुखर और दबंग लोकमान्य तिलक ही थे.
सो एक बार जब गांधीजी भारत आए तो पहले पुणे पहुंचे, दरअसल उनको पता था कि कांग्रेस के दो मुख्य धड़े हैं, उनको दोनों से मिलना था. पुणे में तिलक भी थे और गोखले भी. गोखले से गांधीजी सहज थे, तभी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मान लिया था, बाद में हर बात में उनकी ही सलाह मानते थे, गोखले को दक्षिण अफ्रीका भी बुलाया था.
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पुणे में दोनों से मिलने के बाद गांधीजी ने दोनों के बारे में क्या विचार बनाए? गांधी ने ‘गंगा’ किस नेता के लिए लिखा? गांधीजी के लिए कौन सा नेता ‘हिमालय’ था? सारे सवालों के जवाब इस वीडियो स्टोरी में देखिए–