नई दिल्ली. मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. इस फैसले से काले धन और जाली नोटों के कारोबार पर नकेल कसने की बात कही जा रही है. हालांकि, अचानक इतनी बड़ी घोषणा होने से लोगों को आने वाली पेरशानियों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
लेकिन, कह सकते हैं कि पीएम मोदी ने कुछ समय पहले ही काले धन को लेकर अपना रुख साफ कर दिया था. भले ही तब किसी को कल रात हुई घोषणा का अंदाजा भी नहीं था लेकिन मोदी ने कहा था कि सख्त कदम उठाने पर उन्हें कोई दोष नहीं दे सकता.
परदर्शिता भी जरूरी
नरेंद्र मोदी ने सितंबर की शुरुआत में परिसंपत्तियों (काले धन) की घोषणा करने की 30 सितंबर की अंतिम तिथि को लेकर कहा था कि यह सरकार की निर्णयात्मक कार्रवाई है. प्रगति के साथ पारदर्शिता भी जरूरी है.
उन्होंने अपनी परिसपंत्तियों की घोषणा न करने वालों को सीधी चेतावनी दी थी. मोदी ने कहा था, ‘सरकार ने जरूरी कानूनी बदलाव किए हैं. हो सकता है आपने जानबूझकर या गैरइरादतन गलतियां की हो लेकिन यह आपके लिए एक मौका है. मुख्यधार में आएं. अगर 30 सितंबर के बाद में कोई सख्त कदम उठाता हूं, तो कोई मुझे दोषी नहीं ठहरा सकता.’
काला धाना था चुनावी वादा
बता दें कि साल 2014 के आम चुनावों के दौरान मोदी ने काला धाना वापस लाने का वादा भी किया था. वहीं, कई बार समय सीमा बढ़ाने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोगों के लिए अपनी संपत्तियों की घोषणा करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर तय कर दी थी.
पीएम मोदी ने एक अंग्रेजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में भी कहा था कि यह पैसा देश के गरीबों का है. किसी को इसे लूटने का अधिकार नहीं. यह मेरी प्रतिबद्धता है. उन्होंने जीएसटी सहित अन्य आर्थिक मुद्दों और एनडीए के सामने आने वाली मुश्किलों की बात भी कही थी.