नई दिल्ली. रेल में चलने वाले लोगों की जान कितनी सस्ती है इसकी बानगी उस वक्त देखने को मिली जब एक व्यक्ति ने अपने दामाद को खुश करने के लिए उसके हाथ में ट्रेन की कमान दे दी. सतीश श्रीवास्तव नाम के एक रेलवे लोकोमोटिव पायलट ने 17 किलोमीटर तक अपने दामाद को पैसेंजर ट्रेन […]
नई दिल्ली. रेल में चलने वाले लोगों की जान कितनी सस्ती है इसकी बानगी उस वक्त देखने को मिली जब एक व्यक्ति ने अपने दामाद को खुश करने के लिए उसके हाथ में ट्रेन की कमान दे दी. सतीश श्रीवास्तव नाम के एक रेलवे लोकोमोटिव पायलट ने 17 किलोमीटर तक अपने दामाद को पैसेंजर ट्रेन चलाने दी. जबकि उसके दामाद आकाश बंसल के पास किसी भी तरह का ट्रेन चलाने का कोई ज्ञान नहीं था.
श्रीवास्तव के इस कारनामे की जानकारी उस वक्त मिली जब खुद दामाद ने ट्रेन चलाने की सीडी रेलवे अधिकारियों को दी. दामाद ने यह सीडी अपने ससुर से बदला लेने के लिए भेजी थी क्योंकि उसका अपने ससुर से झगड़ा हो गया था और वह अपने ससुर को मजा चखाना चाहता था.