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Death Anniversary of Pran: क्यों हो गई प्राण को पाकिस्तान से इतनी नफरत और खा ली ये कसम

Death Anniversary of Pran: बॉलीवुड के जाने माने विलेन का किरदार निभाने वाले प्राण साहब की आज पुण्यतिथि है. प्राण को अपने करियर की पहचान विलेन के किरदार से मिली है. उनकी रियल लाइफ भी बहुत दिलचस्प थी. दिल्ली में रहने वाले प्राण का फिल्मी सफर लाहौर शहर की देन है. लेकिन बाद में अपने उस शहर से नफरत हो गई और उन्होंने लाहौर ना जाने की कसम खाई.

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Why did Pran had so much hatred for Pakistan and sweared this
  • July 12, 2018 12:42 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. प्राण को जिस शहर ने फिल्मी दुनियां में ब्रेक दिलाया, जिसने उन्हें जीने का मकसद दिया, एक दिन उस शहर से प्राण को इतनी नफरत हो गई कि उन्होंने कसम खा ली कि कभी लाहौर नहीं जाएंगे और वो कभी गए भी नए, शायद पाकिस्तान भी नहीं गए. 20 साल के थे प्राण, पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान में रहते थे, पापा सिविल इंजीनियर थे, लेकिन प्राण सिकंद को फोटोग्राफर बनने का शौक था तो उनके एक स्टूडियो मालिक दोस्त की लाहौर वाली शॉप का काम प्राण के हवाले कर दिया गया. वहीं हीरामंडी की एक पान की दुकान पर प्राण को पंजाबी फिल्मों के राइटर ने दिया फिल्मों में काम करने का वो ऑफर, जिसके चलते प्राण की जिंदगी उन्हें उस ट्रैक पर ले गई, जिसके चलते आज देश का बच्चा बच्चा उन्हें जानता है. लेकिन जिस शहर ने उन्हें ये मौका दिया, उससे ही इतनी नफरत क्यों हो गई प्राण को?

दरअसल प्राण ने शुरूआत की पंजावी फिल्मों से, फिर उनको हिंदी फिल्मों के ऑफर भी मिलने लगे. वो किसी में विलेन बनते तो किसी में हीरो. इस तरह प्राण ने बीस से भी ज्यादा फिल्में वहां कर लीं. लाहौर भी मुंबई की ही तरह एक फिल्म सिटी था. फिल्म परदेसी बालम की कमाई से प्राण ने अपनी जिंदगी की पहली कार भी लाहौर में ही खरीदी. फिर उनके पिता ने उनकी शादी कर दी, नाम था शुक्ला अहलूवालिया. शुक्ला की बहन पुष्पा की शादी इंदौर में हुई थी. इधर शादी के बाद प्राण की जिंदगी बदल गई, अब उनकी जिंदगी में उनका पहला बेटा अरविंद भी आ गया था. इधर देश का माहौल बदलने लगा था, एक तरफ अंग्रेजों के देश छोड़ कर जाने की बातें होने लगी थीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान के जन्म को लेकर भी चर्चाएं फिजाओं में थीं. जाहिर है बाकी इंडस्ट्रीज की तरह फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी चिंतित रहने लगे थे.

लाहौर का माहौल बदलने लगा था, दंगे होने लगे थे. प्राण को भी लगने लगा था कि कभी भी कुछ हो सकता है. सबसे पहले तो उन्होंने अपनी पत्नी और बेटे को उसकी बहन के पास इंदौर भेज दिया. उसके बाद प्राण हमेशा अपनी जेब में एक रामपुरी चाकू लेकर चलने लगे थे. दंगों के बीच ही प्राण अपनी फिल्मों की शूटिंग्स पूरी कर रहे थे. 11 अगस्त 1947 को उनके बेटे का पहला जन्मदिन आने वाला था, तो उनकी पत्नी ने फोन पर दवाब डाला कि बेटे के पहले जन्मदिन पर आपको उसके साथ होना चाहिए और प्राण को इमोशनली मजबूर कर दिया कि वो बेटे का जन्मदिन मनाने इंदौर आ जाए. प्राण 10 अगस्त को ही इंदौर पहुंच गए. लेकिन इंदौर आने के बाद प्राण फिर कभी लाहौर नहीं लौट पाए. यहां तक कि उन्होंने कसम खा ली कि कभी लाहौर नहीं जाएंगे और गए भी नहीं. यहां तक कि शायद पाकिस्तान भी नहीं.

आखिर क्या थी ये कसम खाने की वजह जानिए विष्णु शर्मा के साथ इस वीडियो स्टोरी में

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