नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के 16,795 न्यायाधीशों को विशिष्ट पहचान संख्या जारी की है. यह संख्या न्यायाधीशों के न्यायिक कार्यों की बेहतर निगरानी के लिए दी गई है.
हालांकि, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों ऐसे नंबर नहीं दिए गए हैं. न्यायिक सुधारों और कोर्ट के आधुनिकीकरण के तहत कई जजों को डिजीटल सिग्नेचर भी दिए गए हैं ताकि वह न्याय सुनाने के दौरान साइन कर सकें और उसे उसी समय अपलोड किया जा सके. न्यायिक अधिकारियों को कार्य करने के लिए लैपटॉप, प्रिंटर्स और इंटरनेट कनेक्शन भी दिया गया है.
पारदर्शिता लाना मकसद
सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में चल रहे ईकोर्ट प्रोजेक्ट के तहत सरकार अदालतों का आधुनिकीकरण कर रही है. इसका पहला चरण मार्च 2015 में पूरा हो चुका था. दूसरा चरण अभी चल रहा है और इसमें 2,482 जजों को विशिष्ट पहचान संख्या देना बाकी है. साथ ही सभी अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा भी उपलब्ध करानी है.
विशिष्ट पहचान संख्या लाने का मकसद न्यायिक कार्यों में ज्यादा पारदर्शिता लाना है. साथ ही इससे न्यायिक कार्यों को ज्यादा प्रभावी बनाने में भी मदद मिलेगी. नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर्स ईप्रोजेक्ट से जुड़े सॉफ्टवेयर को अपग्रेड कर रहा है.