मद्रास उच्च न्यायालय ने आईआईटी-कानपुर को बड़ी राहत देते हुए रैंक केस में अपने पहले दिए गए आदेश पर रोक लगा दी है. आईआईटी-कानपुर ने मामले में मंगलवार को स्टे ऑर्डर जारी किया है.
चेन्नई. रैंक लिस्ट मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने आईआईटी-कानपुर को बडी राहत दी है. कोर्ट ने आईआईटी कानपुर को पहले आदेश दिया था कि वो फिर से रैंक सूची को जारी करें. न्यायमूर्ति हुलुवदी जी रमेश और न्यायमूर्ति धंदपानी शामिल ने मंगलवार को आईआईटी कानपुर को ये राहत दी. पहले कोर्ट ने कहा था कि वह सटीक उत्तर देने वाले अभ्यर्थियों के अनुसार ही रैंक सूची जारी करे.
क्या था मामला
उच्च न्यायायल ने पहले कहा था कि जिन अभ्यर्थियों ने दिए गए निर्देश के अनुसार दशमलव के बाद के दो अंकों तक के सटीक उत्तर लिखे हैं. ऐसे अभ्यर्थियों को वरीयता सूची में उपर रखा जाएं. उदाहरण के लिए अगर परीक्षा में किसी अभ्यर्थी ने 7.00 उत्तर दिया है तो वह प्रथम, 7.0 उत्तर लिखने वाले को द्वितीय और केवल 7 लिखने वाले प्रतिभागी को तीसरे क्रम पर रखा जाए.
चेन्नई मूल की एक छात्रा एल. लक्ष्मीश्री की रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश एस. वैद्यनाथन ने कहा था कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि 7 और 7.00 में कोई अंतर नहीं है. लेकिन परीक्षा में दिए निर्देशों के अनुसार ये सही है. जज ने माना कि इस तरह रैंक सूची जारी करने से कुल चयनित प्रतिभागियों की संख्या प्रभावित नहीं होगी. लेकिन अभ्यर्थियों का रैंक में क्रम बदल जाएगा.
पहले दिए गए अपने फैसले में न्यायाधीश एस. वैद्यनाथन ने कहा था कि 20 मई को आयोजित परीक्षा से पहले स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सभी 8 सवालों के अंकों वाले जवाब दशमलव के बाद की दो संख्या तक लिखें. परीक्षा के बाद आइआइटी कानपुर ने स्पष्टीकरण दिया कि अगर प्रतिभागी ने किसी प्रश्न के जवाब 11, 11.0 अथवा 11.00 लिखा है, तो तीनों सही माने जाएंगे.
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