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Yogini Ekadashi 2018 : सोमवार को है योगिनी एकादशी, जानिए व्रत कथा और महत्व

Yogini Ekadashi 2018 : आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी (Yogini Ekadashi) या शयनी एकादशी कहते हैं. योगिनी एकादशी पर शुभ मुहूर्त, व्रत, कथा, पूजा करके भगवान विष्णु को खुश किया जाता है.

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Yogini Ekadashi 2018
  • July 6, 2018 8:42 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी (Yogini Ekadashi) या शयनी एकादशी कहते हैं. हर एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. योगिनी एकादशी वाले दिन व्रत कर शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा की जाती है और अपने भविष्य, सभी पापों से मुक्ति के लिए कामना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि योगिनी एकादशी वाले दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत आम एकादशी से अधिक प्रभावशाली होता है.

योगिनी एकादशी की तिथि की बात करें तो इस बार यह 9 जुलाई 2018, सोमवार को पड़ रही है. आषाढ़ मास की एकादशी को योगिनी कह कर पुकारा जाता है. वैसे तो साल भर में 24 एकादशी होती हैं लेकिन योगिनी एकादशी का खास महत्व होता है. इस दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान आदि कर के भगवान विष्णु की अराधना करनी होती है. भगवान विष्णु की पूजा के दौरान उनकी कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए.

योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi)
प्राचीन काल में एक कुबेर नाम का एक राजा रहता था जो कि भगवान शिव का परम भक्‍त था. राजा के दरबार में हेम नाम का माली रोजाना पूजा के लिए फूल देने पहुंचता था लेकिन एक दिन वह पूजा के फूल लेकर राजा के यहां नहीं पहुंचा जिसके बाद राजा कुबेर खूब गुस्सा हुए. राजा कुबेर ने माली हेम को बुलवा कर उसे खूब डांटा और कहा कि तुमने शिवजी का अनादर किया है, और शाप दिया. राजा ने शाप देते हुए कहा कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा.

इस बात से परेशान होकर माली चिंता में आ गया और रोते रोते मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा और उनके पैर पड़ गया. माली ने मारर्कंडेय ऋषि से सारा हाल सुनाया जिसके बाद ऋषि ने माली को योगिनी एकादशी व्रत के बारे में बताया. ऋषि ने कहा कि योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऋषि के कहने पर हेम माली ने ठीक वैसा ही किया और इसके बाद वह अपनी स्त्री के साथ सुखमय जीवन बिताने लगा.

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