पुलिस कॉन्स्टेबल स्मिता टांडी के जज्बे को हर कोई करता है सलाम, फेसबुक पर 7 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स

आज हम आपको छत्तीसगढ़ की ऐसी जाबांज महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जो आज से पहले आपने किसी फिल्म में ही देखा होगा या किसी कहानी में सुना होगा. हम बात कर रहें हैं छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में कार्यरत महिला कॉन्स्टेबल स्मिता टांडी की.

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पुलिस कॉन्स्टेबल स्मिता टांडी के जज्बे को हर कोई करता है सलाम,  फेसबुक पर 7 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स

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  • November 2, 2016 12:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
रायपुर. आज हम आपको छत्तीसगढ़ की ऐसी जाबांज महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जो आज से पहले आपने किसी फिल्म में ही देखा होगा या किसी कहानी में सुना होगा. हम बात कर रहें हैं छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में कार्यरत महिला कॉन्स्टेबल स्मिता टांडी की. 
 
स्मिता किसी सिलेब्रिटी से कम नहीं है अब आप सोचेंगे की एक सिंपल सी इस कॉन्स्टेबल में क्या खास है तो आपको बता दें कि स्मिता के फेसबुक पर 7 लाख 20 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और इसके साथ ही वह छत्तीसगढ़ के उन चुनिंदा लोगों में से है जो इस सोशल मीडिया प्लैटफर्म पर इतने लोकप्रिय हैं.
 
 
स्मिता की पूरी कहानी
इतने  साल 2011 में छत्तीसगढ़ पुलिस जॉइन करने वाली 24 साल की स्मिता के मुताबिक उन्होंने कभी फॉलॉवर्स हासिल करने के लिए पैसे नहीं खर्च किए, उनके फॉलोअर्स पेड नहीं हैं. उन्हें लगता है कि उनकी पोस्ट के कॉन्टेंट की वजह से लोग उनसे जुड़ते हैं. वह अपनी पोस्ट्स के जरिए जरूरतमंद गरीब लोगों की कहानी सामने लाती हैं और लोगों से मदद की अपील करती हैं.
 
स्मिता अपनी कहानी बताते हुए कहती हैं कि एक दुखद घटना और दूसरों की मदद की इच्छे के चलते  उन्होंने मार्च 2015 में फेसबुक अकाउंट बनाया था. बताया जाता है कि 2013 में जब स्मिता पुलिस ट्रेनिंग ले रही थीं, तब घर पर उनके पिता बीमार पड़ गए और इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. पैसों के अभाव में उनके पिता की मौत हो गई. पिता के गुजरने के बाद स्मिता को अहसास हुआ कि देश में ऐसे हजारों लोग होंगे जो पैसों के अभाव में जान गवां देते हैं, तब स्मिता ने ऐसे लोगों की मदद करने का फैसला किया.
 
 
स्मिता कैसे करती हैं मदद
स्मिता ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 2014 में गरीबों की मदद के लिए एक ग्रुप बनाया. इस ग्रुप के जरिए उन्होंने लोगों की मदद के लिए पैसा जमा करना शुरू किया. ऐसे लोग जिन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी देने का भी काम करते थे. इसके बाद उन्होंने इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए फेसबुक का सहारा लिया. शुरुआत में लोग उनकी पोस्ट पर ध्यान नहीं देते थे, पर लगभग एक महीने बाद लोगों ने रिस्पॉन्स देना शुरू कर दिया. 
 
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्मिता अब तक अस्पताल के बिल भरने में 25 गरीब लोगों की मदद कर चुकी हैं. आप उनकी फेसबुक प्रोफाइल पर उन तमाम लोगों की कहानियां पढ़ी जा सकती हैं जिन्हें स्मिता ने आर्थिक सहायता मुहैया करवाई या करवाने की कोशिश की.
 
फेसबुक पर स्मिता की लोकप्रियता की जानकारी उनके सीनियर अधिकारियों को भी है औय यही वजह है कि उन्हें भिलाई में महिला हेल्पलाइन के सोशल मीडिया सेल में रखा गया है. दुर्ग में अपने परिवार के साथ किराए के मकान में रहने वाली स्मिता, स्टेट वॉलिबॉल टीम की भी सदस्य हैं.

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