सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लंबे समय से चले आ रहे आम आदमी पार्टी और एलजी अनिल बैजल के टकराव पर एेतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी के पास कोई स्वतंत्र ताकत नहीं है और वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का अधिकार नहीं दे सकते.
नई दिल्ली. दिल्ली में एलजी और आम आदमी पार्टी सरकार के अधिकारों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब आईएएस, डैनिक्स समेत तमाम अधिकारियों के ट्रांसफर मुख्यमंत्री केजरीवाल करेंगे. सिसोदिया केजरीवाल सरकार के कार्मिक और प्रशासन मंत्री हैं और बतौर सर्विसेज के मंत्री होने के नाते उन्होंने सीनियर अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए सीएम की मंजूरी का आदेश जारी कर दिया है जो ट्रांसफर-पोस्टिंग अब तक एलजी अनिल बैजल कर रहे थे.
सिसोदिया ने कहा कि जब दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार थी तो उनके पास 50 परसेंट सरकार थी लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार के पास मात्र 10 परसेंट सरकार बची रह गई क्योंकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था के अलावा सर्विसेज को भी केंद्र यानी एलजी के अधीन कर दिया था. इसकी वजह से अधिकारी सरकार और उसके मंत्रियों की नहीं सुन रहे थे. मोदी सरकार ने सर्विसेज जो एलजी के अधीन एग्जीक्युटिव ऑर्डर से किया था जबकि ऐसा करने के लिए संसद से कानून पास कराने की जरूरत थी.
सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आने वाली तमाम केंद्र सरकारों को साफ बता दिया है कि दिल्ली की सरकार जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सारे कानून बना सकती है और फैसले ले सकती है. इन तीन चीज में कोई चीज बढ़ाने या घटाने का फैसला सिर्फ संसद ले सकती है, केंद्र सरकार नहीं.
सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी पढ़ते हुए बताया कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास पहले भी अधिकार नहीं था लेकिन नरेंद्र मोदी के इशारे पर और केंद्र सरकार की शह पर वो संविधान के प्रावधानों को गलत तरीके से परिभाषित करके सरकार को परेशान कर रहे थे. अब ये सब रुकेगा और दिल्ली में जनता के लटके पड़े काम होंगे क्योंकि उसकी चुनी हुई सरकार को पुलिस, कानून व्यवस्था और जमीन के अलावा सारी चीजों पर फैसला लेने का अधिकार है.
सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि एलजी को दिल्ली सरकार के फैसले को मानना होगा और वो सरकार के हर फैसले को मतभेद बताकर राष्ट्रपति की राय के लिए नहीं भेज सकते. सिसोदिया ने कहा कि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि एलजी के पास फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है- वो या तो सरकार का फैसला मानेंगे या रेयर केस में सरकार के फैसले से मतभेद की स्थिति में राष्ट्रपति को मामला भेजने के बाद राष्ट्रपति का फैसला मानेंगे.
सिसोदिया ने एलजी नजीब जंग और अनिल बैजल से सरकार के तकरार के पुराने मौकों का जिक्र करते हुए कहा कि एलजी के गलत तरीके से काम करने के कारण मोहल्ला क्लिनिक से लेकर स्कूलों के कई काम रुके हैं. पहले एलजी लिख देते थे फाइल पर कि बैड आयडिया, रिजेक्टेड. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साफ है कि एलजी के पास सरकार के फैसले पर अपना विचार देने और फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं है. वो या तो दिल्ली सरकार की सुनेंगे या राष्ट्रपति की, खुद से कोई फैसला नहीं करेंगे.
Delhi CM LG Power Tussle Verdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अरविंद केजरीवाल ने बताया लोकतंत्र की जीत
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