चित्रगुप्त पूजा आज, इस मुहूर्त में पूजा करने से होगी मनोकामना पूरी

आज पूरे देश में भैया दूज के साथ-साथ भगवान चित्रगुप्त की पूजा होगी. भगवान चित्रगुप्त हिन्दुओं के प्रमुख देवों में से एक है. मनुष्यों के पाप-पुण्य का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं.

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चित्रगुप्त पूजा आज, इस मुहूर्त में पूजा करने से होगी मनोकामना पूरी

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  • November 1, 2016 2:34 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
ऩई दिल्ली. आज पूरे देश में भैया दूज के साथ-साथ भगवान चित्रगुप्त की पूजा होगी. भगवान चित्रगुप्त हिन्दुओं के प्रमुख देवों में से एक है. मनुष्यों के पाप-पुण्य का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं.
 
पूजा मुहूर्त
सुबह 6:35 से 7:30 बजे तक और लेखनी की पूजा सुबह 11:45 से दोपहर 1:30 बजे तक होगी.
सबसे पहले पूजा स्थान को साफ़ कर एक चौकी पर कपड़ा बिछा कर श्री चित्रगुप्त जी का फोटो स्थापित करें.
दीपक जला कर गणपति जी को चन्दन, हल्दी,रोली अक्षत, दूब, पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें.
श्री चित्रगुप्त जी को भी चन्दन, हल्दी, रोली-अक्षत, पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें.
 
इसके बाद परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम, दवात आदि की पूजा करें और उन्हें भगवान चित्रगुप्त जी के सामने रखें.
अब सभी लोग एक श्वेत कागज पर रोली से स्वस्तिक बनायें. उसके नीचे पांच देवी देवतावों के नाम लिखें. इसके नीचे एक ओर अपना नाम पता व तारीख लिखें और दूसरी तरफ अपनी आय-व्यय का विवरण दें और हस्ताक्षर करें.
अब श्री चित्रगुप्त जी का ध्यान करते हुए इस मंत्र का 11 बार उच्चारण करें.
मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले |
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं |
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते ||
अब सभी सदस्य श्री चित्रगुप्त जी की आरती गावें |
 
अब आरती उतारें
श्री चित्रगुप्त जी की आरती –
जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम, शरणागतम|
जय पूज्य पद पद्मेश तव शरणागतम, शरणागतम||
जय देव देव दयानिधे, जय दीनबंधु कृपानिधे |
कर्मेश तव धर्मेश तव शरणागतम, शरणागतम||
जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनीधारी विभो |
जय श्याम तन चित्रेश तव शरणागतम, शरणागतम||
पुरुषादि भगवत् अंश जय, कायस्थ कुल अवतंश जय |
जय शक्ति बुद्धि विशेष तव शरणागतम, शरणागतम||
जय विज्ञ मंत्री धर्म के, ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के |
जय शांतिमय न्यायेश तव शरणागतम, शरणागतम||
तव नाथ नाम प्रताप से, छूट जाएँ भय त्रय ताप से |
हों दूर सर्व क्लेश तव शरणागतम, शरणागतम||
हों दीन अनुरागी हरि, चाहें दया दृष्टि तेरी |
कीजै कृपा करुणेश तव शरणागतम, शरणागतम||
अंत में प्रणाम करें और प्रसाद का वितरण करें.
 

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