नई दिल्ली. लौह पुरुष के नाम से प्रसिद्ध देश के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नाडियाड, गुजरात में हुआ था. सरदार पटेल बैरिस्टर और राजनेता थे. वह स्वंत्रता संग्राम में कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं. वर्ष 1947 में भारत की आजादी के बाद वह पहले तीन वर्ष उप प्रधानमंत्री और फिर गृह मंत्री रहे.
15 अगस्त 1947 से पहले भारत में रियासतों के विलय में वल्लभभाई पटेल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. उन्होंने देश की आजादी के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया. कई आंदोलनों और सत्याग्रहों में उनके नेतृत्व से स्वाधीनता की ओर एक-एक कदम बढ़ा. लोगों को न्याय दिलाने की अपनी कोशिशों के दौरान ही पटले को सरदार की उपाधि से नवाजा गया.
जब बन गए लोगों के सरदार
वर्ष 1928 का बारदोली सत्याग्रह, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान गुजरात में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था. इसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया था. उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी. पटेल ने इसका पुरजोर विरोध किया.
सबसे पहले बढ़े हुए लगान के खिलाफ सरकार को पत्र लिखा गया लेकिन सरकार से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. इसके बाद पटेल ने किसानों को संगठित करके उन्हें लगान न देने के लिए कहा. ‘बारदोली सत्याग्रह’ नाम से एक दैनिक पत्रिका निकाली भी गयी. वहीं, कांग्रेस के नरमपंथी गुट ने ‘सर्वेण्ट्स ऑफ इण्डिया सोसाइटी’ के माध्यम से सरकार से किसानों की मांग की जांच करवाने का अनुरोध किया.
इसके बाद मामले को बढ़ता देख सरकार ने न्यायिक अधिकारी बूम फील्ड और एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल को मामले की जांच के आदेश दिए. जांच के बाद 30 प्रतिशत लगान वृद्धि को गलत पाया गया और इसे घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया गया. महिलाओं ने भी इस आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. बारदोली के लोग पटेल से बहुत प्रभावित हुए. इसी सत्याग्रह के दौरान वल्लभभाई पटेल को वहां की औरतों ने ‘सरदार’ की उपाधि से नवाजा.