नई दिल्ली. आयरन लेडी के नाम से जानी जाने वाली देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज पुण्यतिथि है. उनकी मृत्यु 31 अक्टूबर 1984 को हुई थी. आॅपरेशन ब्लू स्टार के बाद उनके ही सुरक्षाकर्मियों ने उन पर हमला कर दिया था.
इंदिरा देश की तीसरी प्रधानमंत्री थी. वह आज भी अपनी मजबूत छवि और कड़े फैसलों के लिए जानी जाती हैं. कभी गूंगी गुड़िया के नाम से जानी जाने वाली इंदिरा गांधी की आवाज ही आवाम को एकजुट करने के लिए काफी थी.
उनके लिए कुछ फैसलों पर आज तक उनकी आलोचना होती है, लेकिन वह कभी पीछे नहीं हटीं. आज उनकी पुण्यतिथि पर हम यहां बता रहे हैं इंदिरा गांधी के ऐसे फैसले, जिनसे उन्होंने अपनी अमिट छाप कायम कर दी.
शास्त्री के बाद बनीं प्रधानमंत्री
बहुत कम बोलने वाली इंदिरा गांधी कभी कांग्रेस की एक ताकतवर नेता बनकर उभरेंगी ये तत्कालीन राजनेताओं ने सोचा भी न था. वर्ष 1966 में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के समय कांग्रेस दो खेमों में बंटी थी. उस समय के बड़े नेता मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बनना चाहते थे लेकिन, कांग्रेस पर खासा प्रभाव रखने वाला सिंडिकेट इसके खिलाफ था.
तब सिंडिकेट के लीडर और तमिल नेता के कामराज ने इंदिरा गांधी को पीएम पद के लिए समर्थन दिलाने में मदद की. कहा जाता है कि सिंडिकेट इंदिरा गांधी को एक कठपुतली बनाकर रखना चाहता था लेकिन चुप-चुप रहने वाली इंदिरा गांधी ने सभी के अनुमानों को गलत साबित कर दिया. उन्होंने सिंडिकेट को ऐसी टक्कर दी कि बाद में कामराज और मोरारजी देसाई को एक साथ तक आना पड़ा.
बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया
इंदिरा गांधी ने देश की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कई कड़े कदम उठाए. उन्होंने बैंकों, खादानों और तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया. उन्होंने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, जिन पर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्जा था. पूर्व महाराजाओं की पदवियां और सुविधाएं खत्म कर दीं.
1971 में बांग्लादेश युद्ध
वर्ष 1971 में भी इंदिरा गांधी ने अपनी मजबूती की मिसाल कायम की. बांग्लादेश (उस समय के पूर्वी पाकिस्तान) में गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था. वहां आजादी की मांग की जा रही थी. तब इंदिरा ने पूर्वी पाकिस्तान को समर्थन देने का फैसला किया.
इसे लेकर इंदिरा की देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आलोचना हुई. लेकिन, वह पीछे नहीं हटीं और 13 दिनों के अंदर पाकिस्तान ने भारत के सामने हथियार डाल दिए. इसके बाद भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी.
देश को दी परमाणु ताकत
इंदिरा गांधी ने वर्ष 1974 में पोखरण में पहला परमाणु विस्फोट कर दुनिया को चौंका दिया. उन्होंने भारत के हाथों में नई ताकत दे दी. भारत को दक्षिण एशिया की नई शक्ति के तौर पर पहचान दी.
लगाया आपातकाल
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया. इसके लिए आज तक इंदिरा की आलोचना की जाती है. ये फैसला गलत हो या सही लेकिन एक लोकतंत्रिक राष्ट्र में ऐसा कर पाना आसान नहीं था. आलोचनाओं के बाद भी इंदिरा ने इसे गलती नहीं माना और कहा था कि विपक्ष ने ऐसे हालात बनाए कि उन्हें आपातकाल लगाना पड़ा.
आॅपरेशन ‘ब्लू स्टार’
1980 का दशक एक ऐसा दौर था जब देश में उग्रवाद तेज हो गया था. जनरैल सिंह भिंडरावाले ने पंजाब में खालिस्तान की मांग तेज कर दी थी. भारत सरकार को सीधे चुनौती मिलने लगी थी. तब इंदिरा सरकार ने इस विरोध को दबाने के लिए सख्त फैसला लिया. देश को विभाजन से बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने आॅपरेशन ब्लू स्टार को मंजूरी दे दी.
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा दूसरी दुर्गा
इंदिरा की विदेश नीति ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पहचान दी. इंदिरा के फैसलों के सामने पाकिस्तान को भी घुटने टेकने पड़े. युद्ध के दौरान उनकी राजनीतिक बुद्धिमत्ता को देखकर अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा को दूसरी दुर्गा तक कहा था.