नई दिल्ली. पाकिस्तानी उच्चायोग के स्टॉफ महमूद अख्तर की गोपनीय दस्तावेजों के साथ गिरफ्तारी के बाद कई पहलुओं से परदा उठ रहा है. दिल्ली पुलिस ने जिस तरह भारतीय सेना की जासूसी कर रहे महमूद को पकड़ा था उससे बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर पाकिस्तान इतनी आसानी से भारत में कैसे जासूसी करवा रहा है?
दिल्ली पुलिस ने महमूद को राजनयिक छूट के कारण थोड़ी देर बाद छोड़ भी दिया था, लेकिन उसे 48 घंटे के अंदर भारत छोड़ने का आदेश भी दिया. महमदू ने पुलिस पूछताछ में खुद को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का जासूस और पाकिस्तानी सेना के बलोच रेजिमेंट का सिपाही बताया. उसने बताया कि वह 2013 से आईएसआई से जुड़ा था. महमूद के अन्य तीन सहयोगियों को भी गुरुवार को पकड़ा गया था.
50 हजार तक का देता था ऑफर
मामले की जांच कर रहे एक ऑफिसर ने बताया कि महमूद कई अन्य लोगों से भी पैसे और विदेश घूमने का लालच देकर जासूसी करवाता था. इसके लिए वह लोगों के बैकग्राउंड और उनकी पारिवारिक स्थिति के बारे में जानकारी इकट्ठा करता था. लोगों को 30 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक का ऑफर और खूबसूरत लड़कियों का लालच देकर जासूसी करवाया जा रहा था.
वहीं उन्होंने मामले में किसी बीएसएफ अधिकारी के शामिल होने के सवाल पर कहा कि बरामद दस्तावेजों की जांच हो रही है. बिना जांच पूरा हुए कुछ नहीं कहा जा सकता.
बता दें कि खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच पिछले 6 महीनों से महमूद पर नजर रख रही थी, जिसे आखिरकार दिल्ली चिड़ियाघर में सुभाष जांगिर और मौलाना रमजान के साथ गुरुवार को सुबह 10 बजे पकड़ा गया. महमूद के पास से फर्जी आधार कार्ड भी बरामद हुआ था. उसके आधार कार्ड पर महमूद राजपुत लिखा था.